
2 नवंबर 2023। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मतदान 2 दिसंबर को होगा। चुनावी प्रचार जोरों पर है और सभी राजनीतिक दलों ने अपनी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। मध्यप्रदेश की सत्ता का फैसला पांच प्रमुख अंचलों के मतदाताओं द्वारा होता है। इनमें से ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ दो ऐसे अंचल हैं जो चुनावी दलों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं।
ग्वालियर-चंबल अंचल:
ग्वालियर-चंबल अंचल ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है। सिंधिया राजघराने का यहां दबदबा है। इलाके से 34 सीटों का भाग्य तय होता है। 2018 में ग्वालियर-चंबल संभाग में सर्वाधिक सीटें कांग्रेस को मिली थीं।
2018 के चुनाव में ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस ने 26 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को 7 और बसपा को 1 सीट मिली थी। कांग्रेस की इस जीत में ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा योगदान माना जाता है। हालांकि, 2020 में सिंधिया के बीजेपी में जाने से कांग्रेस की यह स्थिति कमजोर हो गई है।
मालवा-निमाड़ अंचल:
मालवा-निमाड़ यानी उज्जैन-इंदौर संभाग की बात करें तो यहां से 66 सीटों का भाग्य तय होता है। पिछले बार के चुनाव में यहां पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों में ही टक्कर देखनी मिली थी, लेकिन बाजी कांग्रेस के पक्ष में गई थी। इस क्षेत्र में 22 सीटें एसटी उम्मीदवारों के लिए रिजर्व हैं।
2018 के चुनाव में मालवा-निमाड़ में कांग्रेस ने 35 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को 28 सीटें मिली थीं। 2013 के चुनाव में बीजेपी ने इस अंचल की 57 सीटें जीतीं थीं, जबकि कांग्रेस को महज 9 सीटें मिली थीं।
ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ अंचल मध्यप्रदेश चुनाव 2023 के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों अंचलों में से किसी एक में भी जीत किसी भी पार्टी को चुनाव में बढ़त दिला सकती है। 2018 में कांग्रेस ने इन दोनों अंचलों में सेंध लगाकर बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया था। इस बार भी इन दोनों अंचलों में जीत के लिए दोनों पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं।