3 नवंबर 2023। मध्य प्रदेश की सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां 80 साल के वंशमणि वर्मा और उनकी 27 साल की नातिन सुषमा प्रजापति आमने-सामने हैं।
कांग्रेस से वंशमणि वर्मा और समाजवादी पार्टी से सुषमा प्रजापति चुनाव लड़ रही हैं।
वंशमणि वर्मा तीन बार विधायक रह चुके हैं, जबकि सुषमा प्रजापति पहली बार चुनाव लड़ रही हैं।
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। चुनावी सरगर्मी के बीच सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। यहां 80 साल के वंशमणि प्रसाद वर्मा और उनकी 27 साल की नातिन डॉक्टर सुषमा प्रजापति के बीच मुकाबला होने जा रहा है।
कांग्रेस ने यहां ज्यादा उम्र के उम्मीदवार वंशमणि प्रसाद वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं समाजवादी पार्टी से वंशमणि की नातिन डॉक्टर सुषमा प्रजापति को मैदान में उतारा है।
उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से मेरे पिता डॉक्टर एच एल प्रजापति डॉक्टरी पेशे के साथ-साथ राजनीति में भी थे। उन्होंने बताया कि मेरे पिता जनपद पंचायत अध्यक्ष भी रहे। मेरे पिता ने साल 2018 का विधानसभा चुनाव में भी लड़ा।
डॉक्टर सुषमा ने कहा कि, लेकिन कुछ लोगों की वजह से उन्हें राजनीति का शिकार होना पड़ा। उनके ऊपर कई मुकदमे में लाद दिए गए। जिस वजह से अब वह चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। इसलिए पिता ने मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। मैं पेशे से एक डॉक्टर हूं और अब अपने पेशे के साथ-साथ राजनीति भी करना चाहती हूं। इसलिए विधानसभा का चुनाव लड़ रही हूं। यहां के ज्वलंत मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही हूं और उनका आशीर्वाद मांग रही हूं।
उन्होंने कहा कि देवसर विधानसभा सीट से ही मेरे नाना वंशमणि वर्मा भी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं और मैं समाजवादी पार्टी से लड़ रही हूं। जनता का आशीर्वाद मुझे जरूर मिलेगा।
बता दें कि सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुभाष वर्मा का टीकट काटकर राजेन्द्र मेश्राम को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने वंशमणि वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। वो आठवीं बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 80 साल के वंशमणि वर्मा ने पहली बार 1977 में चुनावी ताल ठोकी थी।
वंशमणि वर्मा तीन बार विधायक रह चुके हैं। वो 1980 और 1993 में कांग्रेस फिर 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। सूबे में जब कांग्रेस पार्टी ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई, तो वंशमणि वर्मा को मंत्री बनाया गया। साल 2013 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय और फिर 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। दोनों ही बार उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
साल 2013 में राजेंद्र मेश्राम और 2018 में सुभाष वर्मा ने उन्हें हराया। अब एक बार फिर से वंशमणि वर्मा चुनावी मैदान की जंग जीतने की होड़ में कूद पड़े हैं। हालांकि इस बार इस विधानसभा सीट से 12 उम्मीदवार विधायक बनने की होड़ में चुनावी दंगल में है। ऐसे में विजय का ताज किसके सर पर होगा यह तो आने वाले 3 दिसम्बर को मतदान परिणाम के बाद तय हो पायेगा।
सिंगरौली की देवसर सीट पर नाना-नातिन के बीच मुकाबला, 80 साल के वंशमणि वर्मा का सामना 27 साल की सुषमा से
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 663
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