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अब मध्य प्रदेश के वनों को चंदन के पौधे रोप कर महकाया जायेगा

Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1025

29 नवंबर 2023। राज्य के वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता ने कतिपय वन वृत्तों के क्षेत्रीय सीसीएफ एवं वनमंडलों के डीएफओ को वर्ष 2024-25 में वन में चंदन के पौधे रोपने के दिशा-निर्देश जारी किये हैं जिससे ये वन क्षेत्र चंदन से महक जायें।

दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि क्षेत्र का चैनलिंक फेंसिंग के साथ लकड़ी के खम्भे / बांस पोल्स से घेराव किया जाये। चंदन रोपण हेतु स्थल में जल भराव नहीं होना चाहिये। मुरमुरी, रेतीली व बालू मिटटी वाला क्षेत्र चन्दन रोपण के लिये उपयुक्त है। क्षेत्र में 3 मीटर गुणित 3 मीटर के अन्तराल में स्थानीय स्थिति के अनुसार नरम मिट्टी में 30 सेंमी गुणित 30 सेंमी गुणित 30 सेंमी अथवा कड़ी मिट्टी में 45 सेंमी गुणित 45 सेंमी गुणित 45 सेंमी के गढ्ढे खोदे जायेंगे। गढ्ढों में 250 ग्राम वर्मी कम्पोस्ट, 2 किलोग्राम सड़ी खाद (एफवायएम), 100 ग्राम नीम केक एवं बाकी गढ्ढों से निकली हुई मिट्टी डाली जायेगी। निदाई के साथ 50 ग्राम डीएपी खाद डाली जावेगी। आगामी वर्षों में आवश्यकतानुसार खाद का प्रयोग किया जावेगा। चूंकि चंदन के पौधे प्रारंभिक तीन-चार साल पारशियल रुट पेरासाईट होते हैं, इसलिये इसके होस्ट प्लांट हेतु अरहर व तुलसी दोनो को गढ्ढों से 6-7 इंच की दूरी पर पौधे के एक तरफ 7 इंच की दूरी पर अरहर रोपित किया जाएगा अर्थात चन्दन व दूसरी तरफ तुलसी के पौधे रोपे जाएंगे। कीटों का प्रकोप होने पर क्लोरोपाईरिफॉस का उपयोग करना है। यदि फफूंद का प्रकोप हो रहा है तो डिथानेएम-45/नीला थोथा एवं चूने के मिश्रण का उपयोग किया जाएगा।
दिशा-निर्देशों में आगे कहा गया है कि संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सहयोग से कार्य सम्पादन व क्षेत्र की सुरक्षा की जायेगी। प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति हेतु सात वर्षीय परियोजना प्राक्कलन तैयार करके स्थलवार प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाए। तकनीकी स्वीकृति जारी होने के पश्चात ही कार्य कराए जाएंगे। फेंसिंग हेतु कय की जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता एवं भंडार क्रय नियम का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। अप्रैल 2024 में प्रचलित मजदूरी दरों के अनुसार राशि का आवंटन किया जायेगा। चंदन वृक्षारोपण क्षेत्र का आंकलन लगाए गए पौधों की संख्या के आधार पर होगा अर्थात 1100 पौधों का एक हेक्टेयर माना जावेगा। उदाहरण स्वरूप यदि 10 हेक्टेयर सकल क्षेत्र में कुल 8800 पौधा लगाए गए है, तो उसे 8 हेक्टेयर (नेट) मानकर दर निर्धारित होगी। अनुश्रवण एवं मूल्यांकन-विभागीय निर्देशों के अनुसार क्षेत्र का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन कराया जाएगा। सभी स्थलों को आवश्यक रूप से विभागीय वृक्षारोपण मॉनिटरिंग सिस्टम एवं ई-ग्रीन वॉच पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। कटबैक, बीज बुवाई एवं प्राकृतिक पुनरूत्पादन के फलस्वरूप प्राप्त पौधों के परिणाम का आकलन करने के लिये सर्वेक्षण किया जाएगा। परिणामों के आकलन करने के लिये कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व बेंचमार्किंग हेतु चयनित क्षेत्र में पुनरूत्पादन एवं वन संनिधि का सर्वेक्षण किया जाएगा।


- डॉ. नवीन जोशी



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