
6 जनवरी 2024। भोपाल के एक बालिका गृह से 26 लड़कियों के लापता होने के मामले में बड़ा खुलासा। बता दें कि भोपाल ग्रामीण एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि 26 लापता बच्चियों के मामले में पूछताछ में पाया गया कि वह बच्चियां लापता नहीं है, बल्कि अपने माता-पिता के साथ घर वापस चली गई। इसके संबंध में अभी और सत्यापन की कार्रवाई आगे की जा रही है। वहीं भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा इस मामले में संस्था की फंडिंग के संबंध में भी जांच की जा रही है। वहीं, एसपी देहात प्रमोद सिन्हा ने बताया की पुलिस दलों से वेरिफिकेशन करा लिया गया है सभी 26 बच्चिया अपने परिवार में माता-पिता के साथ सुरक्षित उपस्थित मिली।
12 बच्चियां अपने घरों पर मौजूद मिली
इधर, जिला प्रशासन की तरफ से जानकारी दी गई कि आयोग के निरीक्षण दौरान उपस्थित मिली 41 बच्चियों को प्रशासन द्वारा पंजीकृत बाल गृह में शिफ्ट कर दिया गया है। इसी के साथ कुछ बच्चियों के फॉर्म वहां मिले पर वे उपस्थित नहीं मिली, उनके संबंध में पूछने पर संस्था द्वारा बताया गया कि बच्चियां अपने घर वापस चली गई है ,जिसका पुलिस के द्वारा वेरीफाई कराया जा रहा है। 12 बच्चियां अपने घरों पर मौजूद मिली, बाकी शेष बच्चियों का पुलिस के द्वारा वेरिफिकेशन किया जा रहा है। अतः बालिकाओं के गायब हो जाने की जानकारी सही नहीं है।
इनपर हुई कार्रवाई
जिला प्रशासन ने इस मामले में पाई गई लापरवाही पर सीडीपीओ बृजेन्द्र प्रताप सिंह (वर्तमान पदस्थापना गंजबासौदा), सीडीपीओ कोमल उपाध्याय और सुपरवाईजर मंजूषा राज को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही महिला बाल विकास अधिकारी सुनील सोलंकी एवं सहायक संचालक महिला बाल विकास रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
क्या है मामला?
दरअसल, भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र से संचालित आंचल मिशनरी संस्था के बालिका गृह के निरीक्षण में 68 में से 26 बच्चियां लापता मिली थी। इनमें से ज्यादातर लड़किया अलग-अलग राज्य की थी। बाकी जो 41 लड़कियां मिली हैं वे रायसेन, छिंदवाड़ा, बालाघाट, सीहोर, विदिशा समेत राजस्थान, झारखंड, और गुजरात की हैं। इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखा था, साथ ही सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी थी। मामले को लेकर परवलिया थाना ने एफआईआर भी दर्ज की है।
पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने कार्रवाई की बात कही
मामले को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी एक्स किया था। उन्होंने लिखा कि भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में बिना अनुमति संचालित बालगृह से 26 बालिकाओं के गायब होने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार से संज्ञान लेने व त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं।
बालिकाओं का मतांतरण करने का शक
इसे लेकर शुक्रवार को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बालिका गृह का निरीक्षण भी किया था। जिसमें सामने आया था कि बालिक गृह बिना मान्यता और रजिस्ट्रेशन के संचालित किया जा रहा था। अनाथ बच्चों को बिना सरकार को जानकारी दिए रखा जा रहा था। ऐसे में आंचल मिशनरी संस्था में बालिकाओं का मतांतरण करने का शक गहरा गया है। निरीक्षण के दौरान बालिका गृह में कई अव्यवस्थाएं भी मिली हैं।
प्रियंक कानूनगो एक्स कर दी यह जानकारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर लिखा था- मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के तारासेवनिया में राज्य बाल आयोग अध्यक्ष और सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से एक मिशनरी द्वारा संचालित अवैध बाल गृह का निरीक्षण किया। यहां की संचालक NGO हाल तक सरकारी एजेंसी की तरह चाइल्ड लाइन पार्ट्नर के रूप में कार्यरत रही हैं। संचालक ने सरकारी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए जिन बच्चों को सड़कों से रेस्क्यू किया उन्होंने बिना सरकार को सूचना दिए और बिना लाइसेंस चलाए जा रहे बालिका गृह में गुपचुप ढंग से रखकर उनसे ईसाई धार्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही है। यहां रह रहीं 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू हैं। काफी कठिनाई के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की है। दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश के महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ऐसी ही NGO's से चाइल्ड हेल्पलाइन ठेके पर चलवाना चाहते हैं।