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गिद्धों की संख्या में वृद्धि: मंदसौर और नीमच में खुशखबरी!

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1622

20 जनवरी 2024। नीमच की बात करें तो 3 साल में यहां गिद्धों की संख्या 543 से बढ़कर 1041 तक पहुंच गई है। वहीं, मंदसौर में 676 से आंकड़ा बढ़कर 850 हो गया। नीमच गिद्धों को रास आ रहा है।

मंदसौर और नीमच जिले में तीन दिवसीय गिद्धों की गणना का काम पूरा हो गया है। गिद्धों को मंदसौर से ज्यादा नीमच रास आया। तीन साल में नीमच में 498 तो मंदसौर में 174 गिद्ध ही बढ़े हैं। नीमच की बात करें तो 3 साल में यहां गिद्धों की संख्या 543 से बढ़कर 1041 तक पहुंच गई है। मंदसौर में 676 से आंकड़ा बढ़कर 850 हो गया।

शहडोल ज़िले में 2021 की तुलना में 2024 में गिद्धों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हुई।
गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्रों (Vulture Conservation and Breeding Centres? VCBCs) में गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है

एशियाई महाद्वीप में गिद्ध प्रजाति विलुप्त होने के खतरे में है।
मप्र शासन द्वारा गिद्धों की गणना 2015-16, 2018-19, 2020-21 और अब 2024 में कराई गई है।
गिद्धों की अहम भूमिका: पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
मंदसौर: गांधी सागर, भानपुरा, गरोठ क्षेत्र में 803 गिद्धों की गणना।
3 दिनों में नए आवासों का पता चला।
2021 में 676 गिद्ध थे, जो प्रदेश में दूसरे स्थान पर थे।
अब 850 गिद्धों के साथ प्रदेश में अव्वल स्थान पर।

नीमच: गिद्धों के लिए सुरक्षित आवास।
452 गिद्ध के बच्चे और 589 वयस्क गिद्ध पाए गए।
3 साल में गिद्धों की संख्या दोगुनी हुई।
प्रदेश में गिद्धों की संख्या कम हो रही है, लेकिन नीमच में बढ़ रही है।

सबसे अधिक सफेद गिद्ध: इजिप्शियन कल्चर यानी सफेद गिद्ध बड़े वन्य जीव का मांस खाता है।
जमीन पर कीड़ों को भी खाकर जीवित रह सकता है।
यही कारण है कि यह प्रजाति अभी बची हुई है।
अन्य प्रजातियां कम होती जा रही हैं।
गिद्ध: प्रकृति के सफाई कर्मी
मरे हुए जानवरों को खाकर भोजन प्राप्त करते हैं।
मवेशियों के लिए प्रतिबंधित दवाई डिः लोफेनक और आवास स्थलों की कमी से गिद्धों की संख्या कम हुई थी।
गिद्धों के संरक्षण के लिए नेस्टिंग साइट को पहचान कर उनका संरक्षण महत्वपूर्ण है।
गांधी सागर: गिद्धों के लिए अनुकूल
वन्य जीव जंतुओं और पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण।
गिद्धों के लिए पानी और बेहतर खान-पान।
गिर के जंगलों से भी गिद्ध यहां पहुंच रहे हैं।
यह खबर नीमच और मंदसौर के लिए खुशखबरी है, और गिद्धों के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।


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