
24 मई 2024। बच्चों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, 17 जुलाई 2022 को पॉक्सो ट्रेकिंग पोर्टल लॉन्च किया गया। यह पोर्टल पॉक्सो अधिनियम 2012 के तहत पीड़ितों को न्याय दिलाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पॉक्सो अधिनियम बच्चों को यौन शोषण, उत्पीड़न और अश्लीलता से बचाने के लिए बनाया गया था। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सहयोग से विकसित, यह पोर्टल पीड़ित बच्चों के अधिकारों और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की निगरानी के लिए एक तकनीकी मंच प्रदान करता है।
पॉक्सो ट्रेकिंग पोर्टल की विशेषताएं:
डिजिटल और पारदर्शी: यह पोर्टल बच्चों से संबंधित सेवाओं के लिए एक पारदर्शी और सुलभ प्रणाली प्रदान करता है।
प्रभावी कानून प्रवर्तन: यह पुलिस और जिला बाल संरक्षण इकाई (DCPU) को उनके कर्तव्यों के प्रभावी निर्वहन में सहायता करता है।
कार्यप्रणाली में सुधार: यह डीसीपीयू, बाल कल्याण समिति (CWC) और पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
बाल-केंद्रित: यह बाल-केंद्रित प्रक्रियाओं को लागू करता है जो पीड़ितों के लिए अनुकूल हैं।
सूचना साझाकरण: यह पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और कानूनी सेवा प्राधिकरणों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाता है।
पुनर्वास: यह बाल यौन शोषण के मामलों में पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी करता है।
जवाबदेही: यह बाल यौन शोषण मामलों में कर्तव्यधारकों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
निगरानी: यह बेहतर निगरानी के लिए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) को सहायता प्रदान करता है।
डीएलएसए पहुंच: NALSA/SLSA जिला स्तरीय DLSA के विचाराधीन मामलों की स्थिति देख सकते हैं।
सहायता प्रणाली: यह पीड़ितों से जुड़े सहायक व्यक्तियों, दुभाषियों, अनुवादकों, विशेषज्ञों और परामर्शदाताओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
पॉक्सो ट्रेकिंग पोर्टल न केवल पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाने में मदद करता है, बल्कि यह बाल यौन शोषण के मामलों में जवाबदेही सुनिश्चित करने और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत प्रणाली भी स्थापित करता है।