26 जुलाई 2024। चिकित्सा विज्ञान का एक अद्भुत करिश्मा आज 46 साल का हो गया है। साल 1978 में पैदा हुई लुईस ब्राउन दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी थीं, जिनके जन्म ने प्रजनन क्षमता से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लाखों दंपतियों के लिए नई उम्मीद की किरण जगाई थी।
आज जब लुईस अपना 46वां जन्मदिन मना रही हैं, तब ये देखना भी दिलचस्प है कि उनके जन्म के बाद चिकित्सा विज्ञान ने कितनी प्रगति की है। आंकड़ों के मुताबिक, 1978 से अब तक दुनिया भर में आईवीएफ तकनीक की मदद से लगभग 60 लाख बच्चे पैदा हो चुके हैं। यह सफलता वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और इस तकनीक पर लगातार हो रहे शोध की देन है।
आईवीएफ यानी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु को पुरुष के शुक्राणु से प्रयोगशाला में निषेचित कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस तकनीक ने न सिर्फ बांझपन की समस्या का समाधान खोजा बल्कि कई अन्य प्रजनन संबंधी चुनौतियों से निपटने में भी मदद की है।
हालांकि, आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है और इसकी सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है। इसके साथ ही, इस तकनीक के नैतिक पहलुओं पर भी समय-समय पर बहस होती रही है। फिर भी, इन सभी बातों के बावजूद आईवीएफ ने लाखों परिवारों को खुशी का एहसास कराया है और यह सिलसिला लगातार जारी है।
लुईस ब्राउन के जन्मदिन के मौके पर हम न सिर्फ चिकित्सा विज्ञान की इस उपलब्धि का जश्न मनाते हैं बल्कि उन सभी वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को भी याद करते हैं, जिन्होंने इस तकनीक को विकसित करने और परिपक्व करने में अपना योगदान दिया।
दुनिया की पहली 'टेस्ट ट्यूब बेबी' हुईं 46 साल की, आईवीएफ से अब तक 60 लाख से अधिक बच्चे हुए
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 4265
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