22 दिसम्बर 2024। क्या राजधानी भोपाल और अन्य जिलों के लोग जानते हैं कि माण्डू इमली या खुरासानी इमली क्या होती है। कैसे दिखती है। इसे देखने का अचूक मौका राजधानी भोपाल के लोगों को मिला है। इसे भोपाल में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में देखा जा सकता है। यह दुर्लभ पेड़ है। मध्यप्रदेश राज्य वन अनुसंधान संस्थान और मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के परस्पर सहयोग से बाओबाब के पेड़ों के संरक्षण का ठोस प्रयास किया जा रहा है।
इसका वनस्पतिक नाम है एडनसोनिया डिजिटाटा या अफ्रीकी बाओबाब। यह बाओबाब जाति की सबसे व्यापक रूप से फैली हुई वृक्ष प्रजाति है। यह अफ्रीकी महाद्वीप और दक्षिणी अरब प्रायद्वीप यानी यमन ओमान क्षेत्र का मूल प्रजाति है। यह एक बड़े गोल क्षेत्रयुक्त वृक्ष होते हैं। यह लंबे समय तक जीवित रहने वाले वृक्ष हैं।
इतिहास
मध्यप्रदेश के धार जिले में ऐतिहासिक मांडू शहर भारत का एकमात्र स्थान है जहां बाओबाब के पेड़ बहुतायत में हैं । मांडू शहर की परिधि में करीब 1000 से 1200 पेड़ है। इतिहास में उल्लेख आता है कि बाओबाब पेड़ के बीज अफगान शासकों द्वारा या अरब व्यापारी द्वारा मांडू लाये गए थे जो 1400 ईस्वी के आसपास मांडू आए थे । बाओबाब वृक्ष को मांडू का विशेष वृक्ष माना गया है, इसलिए लोग इसे मांडू इमली भी कहते हैं। बाओबाब पेड़ स्थानीय लोगों के आय का साधन भी हैं। आश्चर्य की बात है कि हाल के दिनों में इन पेड़ों की संख्या में कमी आई है। मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने इन पेड़ों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाया है।
वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार इन पेड़ों में समय-समय पर तने उगाने की क्षमता के कारण बाओबाब लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। रेडियोकार्बन डेटिंग से पता चला है कि कुछ पेड़ 2000 वर्षों से भी ज्यादा पुराने हैं। रेडियो कार्बन डेटिंग से मिली जानकारी के अनुसार जिंबॉब्वे के पांक बाओबाब लगभग 2450 वर्ष पुराना था जब 2011 में इसकी मृत्यु हो गई । यह अब तक का सबसे पुराना एंजियोस्पर्म माना गया है । दो अन्य पेड़ नामीबिया में डार्सलैंडबूम और दक्षिण अफ्रीका में ग्लेनको के लगभग 2000 वर्ष पुराने होने का अनुमान लगाया गया है। गृटबूम के नाम से जाने जाने वाला एक अन्य वृक्ष मरने के बाद आकलन कर 1275 वर्ष पुराना बताया गया।
कैसा होता है बाओबाब?
हैदराबाद में गोलकुंडा किले के अंदर एक बाओबाब पेड़ है जो करीब 430 वर्ष पुराना है। अफ्रीकी बाओबाब ऐसे पेड़ से जो अक्सर अकेले होते हैं। वे पांच से 25 मीटर तक बढ़ते हैं। इनका तना आमतौर पर बहुत चौड़ा और घुमावदार या बेलनाकार होता है । अक्सर यह चौड़ा एवं फैला हुआ आकार का होता है । इसके तने 10 से 14 मीटर व्यास के हो सकते हैं। इसकी छाल भूरे रंग की और आमतौर पर चिकनी होती है। गर्मियों में पतली छाल निकलती है। मुख्य शाखाएं विशाल हो सकती है। फूल बड़े सफेद और लटकते हुए होते हैं। कलियां शंकु आकार के सिरे से गोल होती है। फुल दिखावटी होते हैं और कभी-कभी जोड़े में होते हैं लेकिन आमतौर पर लगभग 15 से 90 सेंटीमीटर लंबे लटकते डेंटल के अंत में एकल होते हैं और कभी-कभी जोड़ी में होते हैं।
सभी पेड़ों में बड़े गोल कठोर फल लगते हैं जो लकड़ी के बाहरी आवरण के साथ 25 सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते हैं। फल के खोल 6 से 10 मिलीमीटर मोटे होते हैं। बाओबाब के फल आकार में परिवर्तनशील होते हैं। गोल से लेकर बेलनाकार तक हो सकते हैं। फल के अंदर एक मांसल हल्के गुलाबी रंग का गूदा होता है। जैसे-जैसे वह सूखता जाता है गूदा सख्त होकर बीज का आवरण बना लेता है जिसे मसलने पर पाउडर बन जाता है। यह पाउडर स्वाद में खट्टा होता है।
बाओबाब को कई नामों से जाना जाता है। हर नाम के साथ कुछ तथ्य जुड़े हैं। इसे सामान्य नाम में मंकी ब्रेड ट्री, उल्टा पेड़ और क्रीम ऑफ टाटरी आदि है । पन्द्रहवीं शताब्दी में मांडू के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को अफगानिस्तान के खुरासान के सुल्तान ने उपहारस्वरूप कुछ बोलने वाले तोते और बाओबाब के पौधे भेंट किए थे। चूंकि यह खुरासान से लाए गए थे और इसका फल का गूदा इमली की तरह खट्टा होता है इसलिए इसे खुरासानी इमली कहते हैं। बाओबाब के वृक्ष को मांडू का विशेष वृक्ष माना गया है। इसलिए कई लोग इसे मांडू इमली भी कहते हैं। कई लोग गोरख इमली भी कहते हैं।
बाओबाब बोतल के आकार का होता है और इसका तन चौड़ा होता है जो ऊपर की ओर बढ़ने पर सकरा हो जाता है। ऐसा लगता है कि मानो कोई पेड़ उल्टा लगा हो इसलिए इसे उल्टा पेड़ भी कहते हैं। इसकी विशालता और तने की मोटाई के अंदर खोल होता है। गुजरात की लोक कथाओं के अनुसार इसके बड़े खोल में चोरी का सामान को छुपाने के लिए उपयोग में लाते थे इसलिए वहां इसे चोरआम्बलो भी कहा जाता है।
मांडू क्षेत्र में दुकानदार इसके फलों को स्मृतिचिन्ह के रूप में बेचते हैं। आकार के अनुसार इसकी अच्छी कीमत मिलती है। एक फल 200 रूपये तक में बिक जाता है। इसके अलावा इसका गूदा अलग से प्रति पैकेट 10 से 25 रूपये में बेचते हैं। बाओबाब अफ्रीका का एक पारंपरिक खाद्य पौधा है। यह अन्यत्र बहुत कम पाया जाता है। यह विटामिन सी का समृद्ध स्रोत है। इसमें प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है। इसका उपयोग पेट संबंधी विकारों के इलाज में होता है।
क्या है खुरासानी इमली? राजधानीवासियों के लिए जानने का सुनहरा अवसर
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 108
Related News
Latest News
- नीता अंबानी हावर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस में करेंगी भारत की वैश्विक शक्ति पर विचार साझा
- विज्ञान और नवाचार का उत्सव: 11वां भोपाल विज्ञान मेला 2024
- क्या है खुरासानी इमली? राजधानीवासियों के लिए जानने का सुनहरा अवसर
- डिजिटल मीडिया: आज की अनिवार्यता और संपूर्ण मीडिया का भविष्य
- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नवागढ़ में 209 करोड़ रूपए के विकास कार्यों का किया भूमिपूजन और लोकार्पण
- 100 करोड़ में भी सास नहीं बनूंगी: अमीषा पटेल