हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश औद्योगिक भारत के मानचित्र पर भी केन्द्र-बिन्दु : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 607

23 फरवरी 2025। दुनिया आज नए औद्योगिक युग में प्रवेश कर रही है। वैश्विक निवेशक स्थिरता, व्यापार की सुगमता और टर्न ओवर एवं प्रोफिटेबिलिटी में दीर्घकालिक वृद्धि की तलाश में हैं। इन परिस्थितियों में भोपाल में आयोजित हो रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस)-2025 मध्यप्रदेश को इस बदलाव नेतृत्व-कर्ता के रूप में उदित होने के लिये स्वर्णिम अवसर है। इस आयोजन की सफलता से भारत का हृदय प्रदेश राष्ट्रीय ही नहीं वैश्विक औद्योगिक निवेशों का नया केंद्र बन कर उभर रहा है।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 मध्यप्रदेश को भारत के औद्योगिक हृदय-स्थल और वैश्विक निवेश की धुरी बनने का ऐतिहासिक अवसर है। यह वह मंच होगा जहाँ मध्यप्रदेश अपनी ताकत, नीतियों और निवेश के लिए बनाए गए अनुकूल माहौल को पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा। वैश्विक निवेशक तीन बातों को प्राथमिकता देता है, स्थान, नीति और मूलभूत सुविधाएँ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने की मुहिम में जुटे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व ने प्रदेश को इन सभी मानकों पर खरा उतरने के योग्य बन दिया है।

उद्योगों के विकास के लिए फास्ट-ट्रैक मंजूरी, सिंगल-विंडो क्लियरेंस और उद्योग-हितैषी नीतियाँ निवेशकों को समय और लागत दोनों में लाभ पहुंचाने में सक्षम रणनीतियों से सरकार ने एक ऐसा वातावरण तैयार किया है राज्य में विकसित हो रहे औद्योगिक गलियारे, लॉजिस्टिक्स पार्क और स्मार्ट शहर इसे भारत का निवेश-आकर्षण बना रहे हैं। देश के केंद्र में स्थित होने के कारण यहाँ से भारत ही नहीं दुनिया भर के बड़े उपभोक्ता बाजारों तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।

मध्यप्रदेश अब विनिर्माण क्षेत्र में भारत के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक बनकर उभर रहा है। सरकार द्वारा दी जा रही रियायतें और प्रोत्साहन इस दिशा में निवेशकों का भरोसा मज़बूत कर रहे हैं।

पूँजीगत सब्सिडी, स्टांप शुल्क में छूट और औद्योगिक पार्कों में तैयार मूलभूत इन्फ्रास्ट्रक्चर उद्योगों को तेज़ी से स्थापित और विस्तारित करने में सहायता कर रहे हैं। लॉजिस्टिक्स को आधुनिक बनाने के लिए किए गए निवेश के कारण अब आपूर्ति श्रृंखला और माल परिवहन अधिक सुगम हो गया है, जिससे निवेशकों को राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए और अधिक आकर्षक संभावनाएँ दिख रही हैं।

वैश्विक व्यापार अब स्थायी विकास की ओर बढ़ रहा है और मध्यप्रदेश इस हरित क्रांति का एक प्रमुख स्तंभ बनने के लिए तैयार है। प्रदेश की नई ऊर्जा नीति में 12 हजार मेगावाट ग्रीन एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जिससे उद्योगों को क्लीन-ग्रीन और सस्ती बिजली पर्याप्त मात्रा में मिल सके। राज्य सरकार ने नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ट्रांसमिशन चार्ज छूट और प्राथमिकता के आधार पर भूमि आवंटन जैसी नीतियाँ लागू की हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी निर्माण को गति देने के लिए भी विशेष प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। प्रमुख मार्गों पर चार्जिंग स्टेशनों का व्यापक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, जिससे हरित ऊर्जा को वास्तविक रूप में लागू करने की दिशा में तेज़ी से प्रगति हो रही है।

मध्यप्रदेश अब सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में भी प्रभावी रूप से आगे बढ़ रहा है। सेमीकंडक्टर नीति-2025 के अंतर्गत निवेशकों को बड़े पैमाने पर पूँजीगत सब्सिडी और तेज मंजूरी प्रक्रियाओं की सुविधा दी जा रही है। इस क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना के लिए ‘नो-क्वेरी पोर्टल’ विकसित किया गया है, जो निवेशकों को बिना किसी जटिलता के अपने उद्योगों की शुरुआत करने की अनुमति देता है। इसके अलावा, वीएलएसआई और सेमीकंडक्टर डिज़ाइन प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना से इस उद्योग के लिए कुशल कार्यबल विकसित करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश नए मानक स्थापित कर रहा है। ड्रोन नीति 2025 बना कर राज्य को भारत का अग्रणी ड्रोन निर्माण केंद्र बनाने की दिशा में तेज़ी से कार्य किया जा रहा है। सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुसंधान अनुदान और सब्सिडी के कारण ड्रोन निर्माण, लॉजिस्टिक्स, कृषि और आपदा प्रबंधन में तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा मिल रहा है।

राज्य में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भी अभूतपूर्व गति से बढ़ रहा है। सरकार द्वारा स्टार्ट-अप फंड और वैश्विक नेटवर्किंग को प्रोत्साहित करने के लिए दी जा रही सहायता से यहाँ नए उद्योगों की स्थापना की संभावनाएँ सशक्त हो रही हैं।

आर्थिक विकास तभी सार्थक माना जाता है जब उद्योगों के साथ ही रोज़गार के अवसरों का भी विस्तार हो। मध्यप्रदेश में लागू की जा रही नीतियाँ न केवल उद्योगों को निवेश के लिए आकर्षित कर रही हैं, बल्कि इससे लाखों युवाओं के लिए रोज़गार के नए द्वार भी खुल रहे हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में 20 लाख से अधिक नौकरियों के नए अवसर सृजित करना है। इसमें एमएसएमई क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित हो रही कंपनियों के लिए सरकार ने प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं, ताकि नए कर्मचारियों का आर्थिक सहयोग के साथ कौशल उन्नयन भी किया जा सके।

मध्यप्रदेश अब वैश्विक निर्यात क्षेत्र में भी तेजी से बाहें पसार रहा है। राज्य सरकार ने नए निर्यातकों के लिए वित्तीय सहायता, फ्रेट सब्सिडी और विशेष निर्यात संवर्धन क्षेत्रों की स्थापना जैसी पहल की हैं। इससे यहाँ के उत्पाद वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना सकेंगे। आज मध्यप्रदेश केवल भारत के लिए ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया के लिए विनिर्माण केंद्र बनता जा रहा है।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 एक ऐसा मंच बनने जा रही है जहाँ नए औद्योगिक साझेदारियों और ऐतिहासिक निवेश समझौतों की नींव रखी जाएगी। इस समिट के माध्यम से प्रदेश सरकार देश के साथ ही वैश्विक उद्योग जगत के साथ नए संबंध स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आशा व्यक्त की है कि 2030 तक राज्य की औद्योगिक अर्थव्यवस्था को छह लाख करोड़ रुपये तक पहुँच जाएगी।

वैश्विक निवेश परिदृश्य तेज़ी से बदल रहा है और मध्यप्रदेश बदलाव की इस लहर पर सवार होकर अपने औद्योगिक निवेश को नये क्षितिजों तक पहुंचाने में जुटा हुआ है। प्रदेश व्यापारिक सुगमता, विश्वस्तरीय अधोसंरचना और कुशल कार्यबल के साथ भारत के सबसे भरोसेमंद निवेश स्थलों में से एक बन गया है। जीआईएस-2025 अवसर मात्र नहीं, अपितु भारत के भविष्य का निर्माण करने की कुंजी है।


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