जीआईएस-भोपाल में निवेश संगम: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में हरित और श्वेत क्रांति को मिलेगी नई गति, मध्यप्रदेश बनेगा देश का 'फूड बास्केट'

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 557

3 मार्च 2025। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश की समृद्ध कृषि परंपरा और सतत विकास नीतियां अब वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) भोपाल में निवेशकों ने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन क्षेत्रों में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। मुख्यमंत्री ने इसे प्रदेश में हरित और श्वेत क्रांति के लिए एक मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने कहा कि इन निवेश प्रस्तावों से मध्यप्रदेश, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को वैश्विक 'फूड बास्केट' बनाने के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

मध्यप्रदेश जैविक खेती में अग्रणी
मध्यप्रदेश पहले ही देश का सबसे बड़ा जैविक खेती वाला राज्य बन चुका है। देश की कुल जैविक खेती में 40% योगदान देने वाला यह राज्य अब इस क्षेत्र का विस्तार कर 17 लाख हेक्टेयर से 20 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रहा है। सरकार किसानों को पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन के लिए निःशुल्क सोलर पंप उपलब्ध करा रही है।

राज्य में उद्यानिकी क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बीते वर्षों में बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 27 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इससे राज्य के फल एवं सब्जी उत्पादकों को भी बड़ा लाभ मिलेगा।

दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनेगा मध्यप्रदेश
प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है। वर्तमान में यह देश के कुल दुग्ध उत्पादन में 9% का योगदान दे रहा है, जिसे 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 'सांची' ब्रांड ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रतिदिन 591 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है, जिससे यह देश का तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन गया है।

खाद्य प्रसंस्करण और नवाचार में निवेश की बाढ़
जीआईएस-भोपाल में "सीड-टु-शेल्फ" थीम पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जहां निवेशकों ने प्रदेश की अपार संभावनाओं को पहचाना। राज्य में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर और एक लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के तहत 930 करोड़ रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है।

वर्तमान में प्रदेश में 70 से अधिक बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ और 3,800 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सक्रिय हैं, जो कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग को बढ़ावा दे रहे हैं।

सिंचाई परियोजनाओं से कृषि क्षेत्र को मिलेगा विस्तार
प्रदेश में सिंचित भूमि तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2003 में मात्र 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी, जो अब बढ़कर 50 लाख हेक्टेयर हो चुकी है। सरकार ने 2028-29 तक इसे 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। नर्मदा, चंबल, ताप्ती, बेतवा, सोन, क्षिप्रा, कालीसिंध और तवा जैसी नदियों पर सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से यह लक्ष्य हासिल किया जाएगा।

रोजगार के नए अवसर
जीआईएस-भोपाल में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आए 4,000 करोड़ रुपये के निवेश से प्रदेश में 8,000 से अधिक रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विस्तार से किसान अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकेंगे, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।

मध्यप्रदेश की दिशा में मजबूत कदम
जीआईएस-भोपाल में हरित और श्वेत क्रांति को लेकर मिले निवेश प्रस्तावों ने मध्यप्रदेश को देश का 'फूड बास्केट' बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार दिया है। कृषि, जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन में हुए निवेश प्रदेश के समग्र विकास में एक नई इबारत लिखने को तैयार हैं।

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