
4 मार्च 2025। मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने एक साल तक कपड़ों पर प्रेस न करने का संकल्प लिया है, ताकि बिजली बचाई जा सके। लेकिन क्या यह फैसला वास्तव में ऊर्जा संरक्षण की दिशा में एक प्रभावी कदम है, या सिर्फ एक दिखावटी प्रयास?
जानकारी के मुताबिक, तोमर ने यह बयान ग्वालियर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान दिया। जैसी कि उम्मीद थी, इस कदम से राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने तोमर के फैसले का मजाक उड़ाया है और इसे महज पब्लिसिटी स्टंट बताया है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आर.पी. सिंह ने इसे "मंत्री की नौटंकी की वेब सीरीज की अगली कड़ी" करार दिया। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि अगर तोमर वाकई ऊर्जा बचाना चाहते हैं, तो उन्हें सरकारी गाड़ियों के बेड़े को छोड़कर साइकिल चलाना शुरू कर देना चाहिए।
⚡ ऊर्जा संकट का हल महज प्रतीकात्मक संकल्प नहीं
यह सही है कि बिजली बचाना आवश्यक है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या कपड़े प्रेस न करने से कोई ठोस परिवर्तन आएगा? घरेलू बिजली खपत का बहुत ही छोटा हिस्सा प्रेस करने में लगता है, जबकि असली समस्या बड़े स्तर पर ऊर्जा की बर्बादी से जुड़ी है। सरकारी कार्यालयों, स्ट्रीट लाइट्स, एयर कंडीशनिंग, और औद्योगिक स्तर पर अनावश्यक बिजली खपत को कम करना अधिक प्रभावी होगा।
⚡ क्या कर सकते हैं मंत्री जी? ठोस उपायों की जरूरत
मंत्री जी को चाहिए कि वे प्रतीकात्मक संकल्प लेने के बजाय वास्तविक नीति-निर्माण पर ध्यान दें। यहां कुछ ठोस कदम दिए जा रहे हैं, जो वाकई में ऊर्जा संरक्षण में मदद कर सकते हैं:
⚡ ऊर्जा दक्षता वाले उपकरणों को अनिवार्य बनाना – सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर LED लाइट्स और ऊर्जा कुशल उपकरणों को बढ़ावा देना।
⚡ सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करना – मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। अधिक से अधिक सौर पैनल लगाने के लिए सरकारी योजनाएं बनानी चाहिए।
⚡ बिजली की बर्बादी रोकना – सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों में स्मार्ट मीटर और स्वचालित बिजली नियंत्रण प्रणाली लगवाने की नीति बनानी चाहिए।
⚡ सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना – मंत्री जी खुद साइकिल चलाने की शपथ लें और सरकारी वाहनों की संख्या को सीमित करें। इससे ईंधन और बिजली दोनों की बचत होगी।
⚡ जन जागरूकता अभियान – बिजली बचत के लिए स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम चलाएं, ताकि लोग वास्तविक और प्रभावी तरीकों से ऊर्जा संरक्षण कर सकें।
ऊर्जा मंत्री का संकल्प भले ही सराहनीय हो, लेकिन यह समस्या का हल नहीं है। असली बदलाव ठोस योजनाओं और नीतियों से आएगा, न कि केवल कपड़े प्रेस न करने से। अगर मंत्री जी वास्तव में बिजली बचाना चाहते हैं, तो उन्हें समग्र ऊर्जा नीति में सुधार लाने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।