वैश्विक प्रदूषण सूची: शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में एशिया का दबदबा, भारत की स्थिति चिंताजनक

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 287

11 मार्च 2025। हाल ही में जारी एक वैश्विक अध्ययन में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की स्थिति पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस सूची में शीर्ष 20 में शामिल अधिकांश शहर एशियाई देशों के हैं, जिससे इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण की विकट स्थिति उजागर होती है।

◼️ भारत में प्रदूषण का बढ़ता संकट
इस रिपोर्ट में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में से 13 शहर भारत में स्थित हैं। असम का बर्नीहाट इस सूची में पहले स्थान पर है, जबकि दिल्ली लगातार छठे वर्ष दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है, जहाँ पीएम 2.5 की सांद्रता 91.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई। इसके अलावा, फरीदाबाद, लोनी, गुरुग्राम, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे दिल्ली के उपग्रह शहर भी इस सूची में शामिल हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में कोयले पर आधारित तीव्र आर्थिक विकास, घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में वाहनों की भीड़ और औद्योगिक उत्सर्जन शामिल हैं।

◼️ एशिया के अन्य प्रदूषित शहर
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के चार शहर भी इस सूची में शामिल हैं। वहीं, चीन और कजाकिस्तान का एक-एक शहर भी इस सूची में स्थान रखता है।

◼️ एशिया के बाहर प्रदूषण की स्थिति
इस सूची में एशिया के बाहर का एकमात्र शहर चाड की राजधानी एन'जामेना है, जिसे विश्व का सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला शहर बताया गया है। उत्तरी अमेरिका में सबसे अधिक प्रदूषित शहर कैलिफ़ोर्निया में स्थित हैं।

◼️ प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव
रिपोर्ट में पीएम 2.5 कणों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो सूक्ष्म लेकिन अत्यधिक हानिकारक प्रदूषकों में से एक हैं। ये कण श्वसन संबंधी समस्याओं, हृदय रोगों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन कई शहरों में यह स्तर अत्यधिक पार कर गया है।

◼️ अन्य देशों की स्थिति
बांग्लादेश और पाकिस्तान, पीएम 2.5 अणुओं के संदर्भ में, विश्व के दूसरे और तीसरे सबसे प्रदूषित देश हैं। दूसरी ओर, चीन ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कुछ सुधार किए हैं, लेकिन अभी भी उसे लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

◼️ डेटा अंतराल और चुनौतियाँ
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ईरान और अफगानिस्तान को डेटा की कमी के कारण शामिल नहीं किया जा सका है। दक्षिण पूर्व एशिया के कई हिस्सों में भी वायु गुणवत्ता निगरानी में गंभीर कमियाँ पाई गई हैं।

इस रिपोर्ट ने वायु प्रदूषण के गंभीर संकट को उजागर किया है, जो न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक गंभीर खतरा बन चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिए सरकारों, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे। स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना, यातायात प्रबंधन में सुधार करना और औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करना आवश्यक कदम हो सकते हैं।

सरकारों द्वारा सख्त पर्यावरणीय नीतियाँ लागू करने और नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने से ही इस वैश्विक समस्या से निपटा जा सकता है।

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