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अब मध्यप्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में आरा मशीनें, फलाईऐश ब्रिक्स, मिक्शर प्लांट नहीं लग सकेंगे

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Place: Bhopal                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 17495

18 नवम्बर 2016, प्रदेश के अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में अब आरा मशीनें, फ्लाईऐश ब्रिक्स, कान्क्रीट मिक्शर प्लांट और हाट मिक्स प्लांट कारखाने नहीं लग सकेंगे। राज्य सरकार ने डेढ़ वर्ष बाद मप्र राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 में संशोधन कर बारह अपात्र उद्योगों की सूची में तीन और उद्योगों के नाम जोड़ दिये हैं।



नये संशोधनों के अनुसार, अब औद्योगिक क्षेत्रों का प्रबंधन वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के स्थान पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग देखेगा। इसके अलावा अब उद्योगों को 30 वर्ष के स्थान पर 99 वर्ष की लीज मिल सकेगी।



इसके अलावा अब इन औद्योगिक क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां एवं आईटी इण्डस्ट्रीज भी लग सकेंगी जिनका पहले प्रावधान नहीं था। इसी तरह रक्षा उत्पादन इकाई हेतु मिली भूमि के लिये शपथ-पत्र देना होगा कि अन्य उद्योग नहीं लगाया जा सकेगा तथा भूमि आवंटन के बाद पांच वर्ष के अंदर रक्षा उत्पादन सामग्री का उत्पादन करना शुरु किया जायेगा।



छोटे उद्योगों को मिलेगी अतिरिक्त छूट :

नये संशोधन के अनुसार, अब औद्योगिक क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को भूमि आवंटन के मूल्य में पहले से मिल रही छूट के अलावा वर्ष 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में और अतिरिक्त छूट मिलेगी। 500 वर्गमीटर हेतु 5 प्रतिशत, 5 हजार वर्गमीटर हेतु 10 प्रतिशत तथा 2 हैक्टेयर तक भूमि के मूल्य में 15 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट दी जायेगी।



अब हो सकेगा हस्तांरण एवं अंतरण :

औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगों के स्वामित्व का हस्तांतरण एवं अंतरण आसान होगा। स्वामित्विक अथवा भागीदाी अथवा लिमिटेड लायबिलिटी फर्म इकाईयों के प्रकरणों में इकाई के डिज्युलेशन होकर नई इकाई अस्तित्व में नहीं आती है तथा उनके पैन नंबर एवं टिन नंबर पूर्ववत रहते हैं तो ऐसी इकाईयों के शेयर परिवर्तन के आधार पर हस्तांतरण नहीं माना जायेगा और ऐसे प्रकरणों में मात्र दस हजार रुपये अंतरण शुक्ल का भुगतान इकाई को करना होगा। यदि पैन नंबर एवं टिन नंबर परिवर्तित होता है तो यह हस्तांतरण की श्रेणी में आयेगा और इन प्रकरणों में प्रचलित प्रीमीयम का दस प्रतिशत हस्तांतरण शुल्क के रुप में देय होगा।



इसी प्रकार पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी का विलय उसकी मूल संचालक कंपनी यानी होल्डिंग कंपनी में होने तथा मूल संचालक कंपनी का विलय पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में होने पर कारपोरेट आईडेंटीफिकेशन नंबर परिवर्तित् हो जाता है तो ऐसे प्रकरण हस्तांतरण की श्रेणी में नहीं आयेंगे तथा मात्र दस हजार रुपये के शुल्क में अंतरण हो जायेगा और पट्टाभिलेख में संशोधन किया जा सकेगा।





- डॉ नवीन जोशी

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