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सीआईआई द्वारा जीएसटी पर सेमीनार आयोजित

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 17782

26 नवंबर 2016, गुड्स एण्ड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) से आम आदमी पर पड़ने वाला कर भार घटेगा तथा कागजी कार्यवाही में कमी आएगी। अभी हमें बहुत सारे कर चुकाने होते हैं लेकिन जीएसटी के आते ही एक देश एक कर प्रणाली आ जाएगी जिससे आमजन से लेकर कंपनियों तक सभी का जीवन आसान हो जाएगा। इससे केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच करों से मिलने वाले राजस्व के बंटवारे संबंधी समस्याएं भी काफी हद तक खत्म हो जाएंगी। दुनिया के लगभग 80 देशों में इस तरह की कर प्रणाली पिछले 50 वर्षों से सफलतापूर्वक चल रही है।



उक्त जानकारी कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) एवं यंग इंडियन्स द्वारा शनिवार शाम गुड्स एण्ड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) के प्रभाव तथा अवसर विषय पर कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने दी। इस कार्यशाला में अतिरिक्त आयुक्त, उत्पाद एवं सेवाकर आर.एस. माहेश्वरी, वित्तीय सलाहकार व कर विशेषज्ञ आशीष फिलिप तथा ख्यातिनाम चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रदीप मुत्रेजा ने अगले वर्ष से लागू होने जा रही जीएसटी प्रणाली के व्यक्तियों, संस्थानों तथा सरकारों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में चर्चा की। साथ ही जीएसटी में नई टेक्नालॉजी की भूमिका पर भी चर्चा की गई।



सीआईआई, मध्यप्रदेश के अध्यक्ष सी.पी. शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में जीएसटी को एक मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इससे अब तक चली आ रही जटिल कर प्रणाली का सरलीकरण होगा तथा केन्द्र व राज्य सरकारें बेहतर तरीके से टैक्स का संकलन व उपयोग कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था के तथा कस्टम, एक्साइज, सर्विस टैक्स तथा एंट्री टैक्स का विलय केन्द्रीय जीएसटी तथा राज्य जीएसटी के रूप में हो जाएगा। इससे कर प्रणाली सरल होगी व इसका पालन करवाना आसान होगा।



आर.एस. माहेश्वरी ने जीएसटी की खास बातों को पावर प्रजेंटेशन के जरिए समझाया। उन्होंने विभिन्न उत्पादों के निर्माण स्थल से लेकर डिलीवरी तक जीएसटी की वसूली व एडजस्टमेंट की बारीकियों को भी बताया। साथ ही उन्होंने सेवाओं के बारे में भी लगने वाले जीएसटी का प्रक्रिया के बारे में बताया।



श्री मुत्रेजा ने बताया कि ऐसी संभावना है कि 80 और आइटमों जिसमें अनाज, बिना प्रोसेस की हरी चायपत्ती, कच्चे नारियल व पोहा आदि शामिल हैं, को भी इस कर से मुक्त किया जा सकता है।

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी विशेषज्ञों ने दिये।

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