12 फरवरी 2017, भारत सहित दुनिया भर में हर वर्ष हजारों लोग पानी में डूबकर अपनी जान गंवा देते हैं। घर में पानी के टब से लेकर, पानी की टंकी, कुंए, बावड़ी, खदानें, नदी, तालाब और समुद्र इन मौतों का कारण बनते हैं। भारत में न तो इन मौतों को रोकने सुरक्षा इंतजाम हैं और न ही कोई जिम्मेदार विभाग या कानून। देशभर में चलाए जा रहे डिजास्टर रिस्क रिडक्शन कार्यक्रम में भी डूबने से होने वाली मौतों को रोकने का कहीं भी जिक्र नहीं है। बढ़ती हुई मौतों को रोकने कानून व दिशानिर्देश बनाने व जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है।
उक्त बात आज दिन भर चली मंदार एण्ड नो मोर मिशन के तहत आयोजित डूबने से बचाव विषय पर आयोजित नेशनल कान्फ्रेंस में निकलकर सामने आई। इस कान्फ्रेंस का आयोजन रोटरी क्लब, भोपाल मैनेजमेंट एसोसिएशन, बीएसएनएल तथा मंदार एण्ड नो मोर मिशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया जिसमें डूबने से होने वाली मौतों की रोकथाम के उपायों पर विमर्श किया गया।
इस कान्फ्रेंस को प्रदेश के राज्यपाल के उच्च शिक्षा सलाहकार प्रोफेसर राजपाल सिंह के मुख्य आतिथ्य तथा युवा नेता व समाजसेवी राहुल कोठारी की अध्यक्ष्ता में आयोजित किया गया। मिसेस इण्डिया क्लासिक अर्थ जया महेश तथा कैलीफोर्निया से आई शिक्षाविद जैनिस ऑस्टिन सहित देश-विदेश से आए विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में शहर के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के विद्यार्थी व प्रतिनिधि अपने सुझावों के साथ शामिल हुए।
प्रोफेसर राजपाल सिंह ने कहा कि बीते डेढ़ वर्षों में जिस संख्या में आमजन से लेकर विभिन्न संस्थाओं का समर्थन मिला है उससे यह मिशन जल्द ही राष्ट्रीयस्वरूप प्राप्त कर लेगा। उन्होंने मिशन को अपना पूरा सहयोग प्रदान करने का भरोसा दिलाया।
राहुल कोठारी ने कहा कि इस कान्फ्रेस से निकलकर आने वाले निष्कर्षों को वे राज्य तथा केन्द्र सरकार के पास लेकर जाएंगे तथा इस दिशा में प्रभावी कानून बनवाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कानून बनवाने अगर जरूरत पड़ी तो वे सांसदों के साथ मिलकर लोकसभा में प्रायवेट बिल पेश करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
मिसेस इण्डिया क्लासिक अर्थ जया महेश ने कहा कि वे शुरू से ही इस मिशन से जुड़ी हैं और वे अपने स्तर पर लोगों को जगरूक करने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने स्कूल व कॉलेजों को साथ लेने व रोज किसी एक व्यक्ति से इस बारे में बात करने की बात कही ताकि इस मिशन को लाखों लोगों तक पहुंचाया जा सके व उन्हें साथ लिया जा सके।
बाल सुरक्षा विशेषज्ञ विभांशु जोशी ने कहा कि डूबने से होने वाली मौतों को भी आपदा माना जाना चाहिए क्योंकि पीड़ित परिवार के लिए यह आपदा ही होती है। यह आपदा किसी न किसी की लापरवाही की वजह से होती है। साथ ही इस मिशन को थोड़ा और व्यापक बनाकर बोरवेल और स्कूल आदि में बनी पानी की टंकियों में होने वाली मौतों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने देश के डिजास्टर रिस्क रिडक्शन कार्यक्रम में डूबने से होने वाली मौतों को आपदा मानते हुए शामिल करने की बात कही।
वरिष्ठ कानून विशेषज्ञ श्रीनिवास जोशी ने कहा कि केन्द्रीय व राज्य प्रदूषण निवारण मण्डलों के पास पानी के स्रोतों के आसपास सुरक्षा इंतजाम करने की शक्तियां हैं जिनका इस्तेमाल वे कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में बोरिंग सेफ्टी की गाइडलाइन जारी की थीं उनका इस्तेमाल भी डूबने से होने वाली मौतों से बचाव के कार्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। इन गाइडलाइनों को शामिल करने से किसी और तरह की गाइडलाइन की जरूरत नहीं रहेगी।
बीएसएनएल के महाप्रबंधक श्री शुक्ला ने बताया कि उनके विभाग की ओर से केरवां डेम पर मोबाइल टॉवर की स्थापना की गई है जिससे यह स्थान कम्युनिकेशन नेटवर्क में आ गया है जिससे मुसीबत की स्थिति में फोन कॉल कर सहायता बुलाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि उनका विभाग आगे भी ऐसे स्थानों पर टॉवर लगाने में सहयोग करेगा जहां आपदा की स्थिति में मोबाइल नेटवर्क की जरूरत होती है।
डूबने से होने वाली मौतों को रोकने दिशानिर्देश बनाने व जिम्मेदारी तय करने की जरूरत
Place:
Bhopal 👤By: प्रतिवाद Views: 18070
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