मल्टी कुजिन रेस्टारेंट - मोमो कैफे - में 6 से 16 अप्रैल तक शाम 7 से रात 11 बजे तक चलने वाले द्राविड़ स्ट्रीट फूड ऑफ साउथ इंडिया में व्यंजनप्रेमी उठा सकेंगे द्राविड़ व्यंजनों का लुत्फ
द्राविड़ शब्द हमें इतिहास में ले जाता है, वह भी हजारों साल पुराने इतिहास में, जब दक्षिण और मध्यभारत में द्राविड़ समुदाय के लोगों ने इन क्षेत्रों को शुरूआती दौर में बसाने का काम किया था। कहा तो यह भी जाता है कि सिंधु घाटी की एक बड़ी आबादी द्राविड़ थी। जितना रोचक द्राविड़ समुदाय का इतिहास है उतना ही रोचक उनका भोजन भी है। भारतीय स्ट्रीट फूड की कल्पना द्राविड़ राज्यों के बिना अधूरी है। इन राज्यों को तो भारत के मसाला मार्ग के रूप में जाना जाता है, जहां के लोग मसालेदार व्यंजन बनाने और खाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
तमिलनाडु में पली बढ़ी किंतु बाद में हैदराबाद में बस चुकीं शेफ एम वाय अमृथावल्ली पिछले 42 वर्षों से द्राविड़ व्यंजन बना रही हैं। वे आन्ध्राप्रदेश तथा केरल के अपने सहयोगी शेफ्स के साथ खासतौर पर द्राविड़ स्ट्रीट फूड फेस्टीवल के लिए भोपाल आई हैं। इस दौरान वे भोपाल के व्यंजनप्रेमियों को द्राविड़ व्यंजनों के लंबे इतिहास में ले जाएंगी और बीते दौर के लजीज व्यंजनों की ढेर सारी वैरायटियों को प्रस्तुत करेंगी। हैदराबाद, चैन्नई, कोची सहित कर्नाटक के अनेक स्थानों के इन लोकप्रिय व्यंजनों में मुंह में पानी ला देने वाली चटनियां, माजिग्गा इडली, पेसारट्टू इड्डीयपम, कलापम आदि अनेक तरह के सी फूड और टेम्पल पयासम आदि शामिल रहेंगे।
शेफ अमृथावल्ली ने आज आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा "चूंकि द्राविड़ कुजिन के बारे में बहुत कुछ लिखा नहीं गया है और संदर्भ भी बहुत सीमित हैं, इसलिए मुझे इस बारे में कठिन शोध करना पड़ी। मैं इस फूड फेस्टीवल में कुछ सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली तो कुछ स्वादिष्ट किंतु अनजानी डिशेस मेहमानों के लिए बनाउंगी।" उल्लेखनीय है कि द्राविड़ स्ट्रीट फूड फेस्टीवल होटल द्वारा आरंभ की गई कम्युनिटी किचन श्रृंखला का हिस्सा है।
शेफ अमृथावल्ली ने कहा "दक्षिण भारत के बड़े भौगोलिक क्षेत्र में व्यंजनों का बड़ा खजाना मौजूद है जिनमें से सभी को प्रस्तुत कर पाना मुश्किल कार्य है। किंतु मैंने अपने अनुभव व शोध के आधार पर इस खजाने में से कुछ शानदार डिशेस की सूची तैयार की है जिसे द्राविड़ स्ट्रीट फूड फेस्टीवल के दौरान मैं अपने हाथों से बनाकर प्रस्तुत करूंगी।"
उन्होंने एक द्राविड़ डिश मसा के बारे में बताया कि यह अति प्राचीन है किंतु यह आज के दौर के दही वड़े जैसी है। इस डिश को उन्होंने रसा वडाई के रूप में अपने मैन्यू में शामिल किया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुराने समय में तंदूर में अलग तरह से रोटियां भी बनाई जाती थीं लेकिन ये रोटियां कैसे बनती थीं इसके बारे में बहुत अधिक जानकारी उन्हें नहीं मिल सकी है। इसलिए वे इसे फूड फेस्टीवल में शामिल नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि रोटियों के बारे में ज्यादा उल्लेख न मिलने से संकेत मिलते हैं कि द्राविड़ समुदाय का मुख्य भोजन चावल रहा होगा किंतु वे अलग अलग किस्म के गेहूं का इस्तेमाल भी किया करते थे।
शेफ अमृथावल्ली ने बताया कि दक्षिण के चार राज्यों के लजीज वेज और नॉनवेज व्यंजन लगभग समान संख्या में इस फूड फेस्टीवल के दौरान बनाए एवं परोसे जाएंगे। उन्होंने बताया कि नॉनवेज के लिए द्राविड़ खाने के लिए पक्षियों का शिकार करते थे तो वहीं वेजीटेरियन मूली और कद्दू जैसी अनेक सब्जियों का इस्तेमाल करते थे। हम होटल में लैम्ब और चिकन को अलग अलग ग्रेवी में पकाकर सर्व करेंगे।
शेफ अमृथावल्ली ने यह भी बताया कि कुछ व्यंजनों को तुरंत बनाकर खिलाने के लिए लाइव स्टेशन भी बनाये जाएंगे जहां त्रावणकोर अप्पम, पुुट्टू और काडला, इडली व चटनी, डोसाई, मुराकू मसाला, वेपाडू, मापीला, माण्डी, खाब्जा, अम्बूर, नामक हैदराबादी बिरयानी, परोटा आदि तैयार किये जाएंगे। इसके अतिरिक्त कप्पा पप्पडुम्पिडी, वझापुझा कटलेट, मीन कोझाम्बू, उरलई रोस्ट, अवियल, पोरियल, पल्सू, चिकिन चेट्टीनाड, पलाकूरा पप्पू, मुट्टीम्वेनकाया, पुलोइहोरा, बेसीबेल्लाह भात, कबाब, पयासम तथा वाताल अप्पम आदि व्यंजन बुफे में सर्व किये जाएंगे।
कोर्टयार्ड बाय मैरियट में 'दक्षिण भारतीय द्राविड़ स्ट्रीट फूड फेस्टीवल' 6 अप्रैल से
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Bhopal 👤By: DD Views: 18028
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