
14 जून 2017, प्रदेश के आदिवासी अब एक वर्ष में अपनी भूमि पर लगे दस लाख रुपये कीमत तक के वृक्ष कलेक्टर की अनुमति से काट सकेेंगे। यह नया प्रावधान मप्र आदिम जनजातियों का संरक्षण वृक्षों में हित संशोधन अधिनियम प्रभावशील होने से स्थापित हो गया है।
18 साल पहले बने उक्त कानून में पहले यह प्रावधान था कि आदिवासी भूमिस्वामी एक साल में कलेक्टर की अनुज्ञा से उसकी भूमि पर खड़े पचास हजार रुपये तक की लागत के वृक्षों को काट सकेगा जिसे विशेष परिस्थितियों में एक लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकेगा। वर्ष 1999 से अब तक इमारती लकड़ी की कीमत में कई गुना वृध्दि हुई है। इसीलिये राज्य सरकार ने उक्त कानून में संशोधन कर यह सीमा दस लाख रुपये कर दी है।
उक्त कानून में एक नया संशोधन यह भी किया गया है कि यदि कोई आदिवासी अपनी भूमि पर लगे वृक्षों को काटने की अनुमति मांगता है तो कलेक्टर उसके आवेदन की जांच करायेगा तथा नब्बे दिन की कालावधि के भीतर आवेदन को मंजूर या नामंजूर करेगा।
ज्ञातव्य है कि कलेक्टर की अनुज्ञा मिलने के बाद वन विभाग के कर्मी ही ये वृक्ष काटते हैं तथा उसका विक्रय कर उसकी राशि संबंधित आदिवासी भूस्वामी के बैंक खाते में जमा करते हैं। पहले प्रावधान था कि आदिवासी भूस्वामी के राष्ट्रीयकृत बैंक के खाते में यह राशि जमा की जायेगी परन्तु अब प्रावधान कर दिया गया है कि अनुसूचित बैंक या केंद्रीय सहकारी बैंक में खुले खाते में ही यह राशि जमा की जायेगी।
- डॉ नवीन जोशी