आधार की वजह से परिवार को मिला खोया हुआ बेटा

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 17974

6 जुलाई 2017। देश में आधार कार्ड जहां सभी सरकारी सुविधाओं और जरूरी कामों के लिए अनिवार्य होता जा रहा है वहीं आधार कार्ड के जरिए एक परिवार को ऐसी खुशी मिली है जो बेहद अनोखी है. 2 साल पहले अपने 18 साल के जवान मंदबुद्धि बेटे को खो चुके एक मजदूर परिवार को आधार कार्ड ने खोए हुए बेटे से मिलवा दिया. खास बात यह रही की कि जिला प्रशासन इन्हें मिलाने का ज़रिया बना लेकिन आधार कार्ड के बिना ये संभव नहीं था. जब माता-पिता को अपने खोए बेटे की सालों बाद खबर मिली तो उनके चेहरे पर खुशी की लहर छा गई.



फिलहाल यह युवक इंदौर से लगभग 1400 किमी दूर बंगलुरु के एक अनाथ आश्रम में है जिसे लेने के लिए एसडीएम व सामाजिक न्याय विभाग के साथ बेटे के माता-पिता बंग्लुरु बच्चे को लेने के लिए रवाना हुए.



ऐसे मिला परिवार को अपना खोया हुआ बेटा

इंदौर की यह कहानी रोचक है, दरअसल बंग्लुरु के एक अनाथालय में 4 दिन पहले आधार कार्ड बनाने का कैंप लगाया गया था, जब एक 20 वर्षीय मंदबुद्धि युवक को मशीन के सामने बैठा कर उसका फिंगरप्रिंट लिया गया और रेटिना का स्कैन कराया गया तो सॉफ्टवेयर में उसका आधार कार्ड बनना रोक दिया गया. जब जांच की गई तो पता चला कि युवक का आधार कार्ड पहले ही बन चुका है और युवक इंदौर के निरंजनपुर का रहने वाला है. इस पर अनाथालय ने जिला प्रशासन इंदौर से संपर्क किया तो पता चला कि मजदूर रमेश चंद्र का बेटा नरेंद्र दो साल पहले गुम हुआ था. जिसकी रिपोर्ट उन्होंने थाने में भी लिखवाई थी. वही इंदौर कलेक्टर निशांत वरवडे ने एसडीएम और सामाजिक न्याय विभाग को निर्देश दिए कि वह बंगलुरु से उसे लाएं और साथ ही उनके माता-पिता से तत्काल मिलिए. साथ ही यह भी कहा की प्रशासन अब मंदबुद्धि बेटे की पूरी जिम्मेदारी भी उठाएगा. इस दौरान जब मजदूर पिता कलेक्टर से मिले उनकी आंखे नम सी हो गई, क्योंकि 2 साल बाद बच्चे की मिलने की खुशी पिता की आंखे बयां कर रही थी.



तो इस तरह जहां आधार लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा और लोगों की पहचान का जरिया बन रहा है वहीं इस मामले में एक परिवार के लिए बरसों से खोयी उनकी खुशी का भी जरिया बना है.





Source : ABP News



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