जेनरिक दवा उत्पादन में भारत सबसे बड़ा देश

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Place: Bhopal                                                👤By: प्रतिवाद                                                                Views: 17874

विश्व के 150 देशों को करता है भारत वैक्सीन आपूर्ति

गुणवत्ता के कारण अमेरिका को 40 प्रतिशत दवा आपूर्ति भारत से

मध्यप्रदेश के भोपाल में शुरू हुई देश की पहली अन्तर्राष्ट्रीय औषधि नियामक संगोष्ठी



21 अगस्त 2017। फार्मास्यूटिकल बाजार में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। वैश्विक स्तर पर वर्चस्व स्थापित करने के लिये वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह बात केन्द्रीय लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने आज भोपाल में औषधि नियामक पर देश की पहली अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कही। संगोष्ठी 'बेस्ट प्रेक्टिसेस इन ड्रग रेगुलेशन' को संबोधित करते हुए श्री कुलस्ते ने बताया कि भारत न केवल विश्व में जेनरिक दवा का सबसे बड़ा उत्पादक देश है बल्कि 150 देशों को वैक्सीन की भी आपूर्ति करता है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना से मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। केन्द्र सरकार का लक्ष्य आधारभूत ढाँचे को मजबूत करते हुए राज्यों के साथ मिलकर मजबूत, परादर्शी, लचीली और सुरक्षित स्वास्थ्य प्रणाली उपलब्ध कराना है।



प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रूस्तम सिंह ने कहा कि जब भारतीय दंड संहिता बनाई गई थी तब ऐलोपैथी दवाइयाँ भारत में नहीं बनती थी। अब फार्मास्युटिकल क्षेत्र के प्रतिनिधि, विशेषज्ञ, विधिवेत्ताओं आदि को साथ में लेकर नियम बनायें और केन्द्र सरकार की मदद से पारित करायें। श्री सिंह ने कहा कि अवमानक स्तर और नकली दवाई बनाने वालों पर निर्धारित समयावधि में दंडित किये जाने का प्रावधान होना चाहिये। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-प्रदेश और लोगों के लिये सकारात्मक, ठोस एवं दूरगामी परिणाम मिलेगें।



श्री रूस्तम सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार देश में महंगे इलाज की लागत 60 से 70 प्रतिशत तक कम हो गई हैं। उन्होंने धार जिले के पीथमपुर में बड़ा संयंत्र लगाने के लिये कुसुम हेल्थ केयर को धन्यवाद भी दिया। यह संयंत्र नवम्बर 2017 से उत्पादन आरंभ कर देगा। श्री सिंह ने कहा मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में न केवल गरीबों को बल्कि सभी को नि:शुल्क दवाइयाँ दी जाती हैं। प्रदेश में प्रतिवर्ष 300 करोड़ रुपये की दवाइयाँ खरीदी जाती हैं।



अपर सचिव केन्द्रीय लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय डॉ. आर. के. वत्स ने बताया कि प्रधानमंत्री जन औषधि योजना में अच्छी गुणवत्ता की दवाइयाँ कम मूल्य पर उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उपकरणों के दाम 50 से 75 प्रतिशत तक कम हो गये हैं। उचित मूल्य पर महंगी दवा उपलब्ध कराने के लिये चिकित्सा महाविद्यालयों में अमृत स्टोर खोले जा रहे हैं। ऐसे 84 स्टोर खुल चुके हैं, 100 और खोले जाने हैं। उन्होंने ने सुझाव दिया कि सस्ती सुलभ दवाइयों के साथ सेफ (सुरक्षित) को भी नारे में जोड़ें। उन्होंने कहा एचआईवी, टीबी, मलेरिया की 60 प्रतिशत दवाइयाँ भारत से निर्यात होती हैं। अनेक लेब विश्व स्तर की हैं रेगुलेटरी सिस्टम भी विश्व स्तरीय होना चाहिये। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश भारत सरकार के हर कार्य में आगे रहा है प्रासीक्यूशन में भी अग्रणी राज्य बने।



नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथारिटी के अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत सरकार आमजन को दवाइयाँ किफायती दामों पर उपलब्ध कराने के लिये कृत-संकल्पित है। कार्यक्रम को भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल डॉ. जी.एन. सिंह, विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत प्रतिनिधि डॉ. हेंक बेकेडम, प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मध्यप्रदेश श्रीमती गौरी सिंह और आयुक्त स्वास्थ्य एवं औषधि नियंत्रक डॉ. पल्लवी जैन गोविल ने भी संबोधित किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तकनीकी अधिकारी डॉ. मधुर गुप्ता ने आभार प्रदर्शित किया।



अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 'कानक्लेव आन बेस्ट प्रेक्टिसेज इन ड्रग रेगुलेशन' का आयोजन मध्यप्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इसका उददेश्य राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर पर ड्रग रेगुलेटरी व्यवस्थाओं का सुदृढ़ीकरण, औषधि एवं चिकित्सकीय उपकरणों से संबंधित कानूनी प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये रोडमेप तैयार करना, विभिन्न प्रदेशों की कार्य-प्रणाली में एकरूपता लाना, गुणवत्तापूर्ण औषधि एवं चिकित्सकीय उपकरण वाजिब दाम पर उपलब्ध करवाना आदि के लिये रोडमेप तैयार करना है।



संगोष्ठी में सभी प्रदेशों के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, औषधि नियंत्रक, भारत में पदस्थ विश्व स्वास्थ्य संगठन के शीर्ष अधिकारी एवं विशेषज्ञ मुख्य रूप से भाग ले रहे हैं।







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