
4 जनवरी 2018। देश के गांवों की सरकारी एवं निजी भूमि पर झोपड़ी बनाकर रह रहे ग्रामीणों को अब शिवराज सरकार भूस्वामी के अधिकार देने जा रही है। इसके लिये 47 साल पहले बने मप्र ग्रामों में की दखलरहित भूमि विशेष उपबंध अधिनियम 1970 के तहत सरकारी भूमि पर तथा 37 साल पहले बने मप्र वासथान दखलकार भूमि स्वामी अधिकारों का प्रदान किया जाना अधिनियम 1980 के तहत निजी भूमि पर 31 दिसम्बर 2014 तक काबिज लोगों को भूमि के मालिकाना हक दिये जायेंगे।
इसके लिये राज्य सरकार ने विधिवत प्रावधान कर दिया है। सरकारी भूमि पर काबिज उन लोगों को भूस्वामी के अधिकार नहीं मिलेंगे जो नगर निगम सीमा से सोलह किमी, नगर पालिका सीमा से आठ किमी तथा नगर परिषद सीमा से 3 किमी के के अंदर रहे हैं। यही नहीं यदि वे नेशनल या स्टेट हाईवे के दोनों ओर एक किमी दूर के अंदर रह रहे हैं तो भी उन्हें भूमिस्वामी अधिकार नहीं मिलेंगे। इसके अलावा ऐसी सरकारी भूमि जो कब्रिस्तान या शमशान घाट, गोठान, खलियान, खाल निकालने के स्थान, बाजार के स्थान, सार्वजनिक प्रयोजनों जैसे पाठशाला, खेल मैदान, उद्यान, सड़क, गलियों एवं नालियों अथवा केंद्र या राज्य सरकार द्वारा किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन हेतु भूमि रखी गई है, उस पर भी भूमि स्वामी के अधिकार नहीं दिये जायेंगे।
वहीं ग्रामों की निजी भूमि पर वर्षों से झोपड़ी बनाकर रह रहे ग्रामीणों को भी भूमिस्वामी के अधिकार दिये जायेंगे तथा इसके लिये निजी भूमि स्वामी के खाते से उतनी भूमि कम कर दी जायेगी जितनी पर ग्रामीण वर्षों से आवास बनाकर रह रहा है। इन दोनों ही स्थितियों में भूमि स्वामी के अधिकार इसलिये प्रदान किये जा रहे हैं ताकि ग्रामीण के पास उसके आवास का पक्का पट्टा हो तथा इस आधार पर वह पीएम एवं सीएम आवास योजना के तहत बैंक से लोन लेकर पक्का आवास बना सके।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि गांवों की सरकारी एवं निजी भूमि पर 31 दिसम्बर 2014 तक काबिज लोगों को अब भूस्वामी के अधिकार दिये जायेंगे। इसके लिये जल्द ही राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी किये जता रहे हैं। सर्वे से ऐसे काबिज लोगों का पता चलाया जायेगा और उन्हें भूस्वामी के अधिकार प्रदान किये जायेंगे।
- डॉ नवीन जोशी