उन्नत और समृद्ध रही है प्राचीन भारतीय वास्तुकला : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 236

👉 राजा भोज द्वारा निर्मित बड़ा तालाब तकनीकी उत्कृष्टता का है श्रेष्ठ उदाहरण
👉 मध्यप्रदेश में तेजी से विकसित हो रहे हैं मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र
👉 मुख्यमंत्री ने वास्तुकारों को मध्यप्रदेश में गतिविधियों के विस्तार के लिए किया आमंत्रित
👉 मुख्यमंत्री ने "द इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स" के राष्ट्रीय सम्मेलन "ट्रांसम" का किया शुभारंभ
👉 मुख्यमंत्री ने डॉ. निधिपति सिंघानिया को किया सम्मानित

11 अप्रैल 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्राचीनकाल से ही आर्किटेक्ट्स का विशेष महत्व रहा है। राजा भोज स्वयं बड़े वास्तुकार थे। भोपाल ताल सहित प्राचीन स्थापत्य के कई उदाहरण भोपाल और इसके आसपास विद्यमान है। भोपाल का ताल मूलतः बांध है। एक हजार साल पहले बनी है यह अद्भुत और बेमिसाल संरचना आज भी सामयिक और बड़ी आबादी के लिए उपयोगी है। मितव्ययता और तकनीकी उत्कृष्टता के साथ निर्मित यह संरचना, प्राचीन समृद्ध ज्ञान परंपरा का जीवंत उदाहरण है, जिस पर आज भी विचार प्रासंगिक है। इस दृष्टि से भोपाल में हो रहा आर्किटेक्ट्स सम्मेलन विशेष महत्व का है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव "द इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स" के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन "ट्रांसम" के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्जलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वास्तुशिल्प नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए वास्तुकला उत्कृष्टता में विरासत को समाहित करने के लिए डॉ. निधिपति सिंघानिया को भारतीय वास्तुकार संस्थान (आईआईए) फैलोशिप से सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आर्किटेक्ट्स को विश्वकर्मा बंधु संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर वास्तुकला और पूजा पद्धतियों में कई रहस्य विद्यमान हैं। भस्म आरती जन्म से लेकर मृत्यु तक की जीवन यात्रा को संक्षिप्त रूप में दिखाने का प्रकल्प है। राजा भोज द्वारा बनवाया गया भोजपुर मंदिर और उनके बड़े भाई राजा मुंज द्वारा मांडव में बनाई गई संरचनाएं तत्कालीन उत्कृष्ट वास्तु शिल्प का उदाहरण है। उत्कृष्ट तकनीक के ये प्रतीक हमारी संस्कृति पर गौरव और आत्म सम्मान का आधार भी हैं। उन्होंने कहा कि राजा भोज कई विधाओं के विशेषज्ञ थे, उन्होंने विभिन्न विषयों पर पुस्तक भी लिखी। उनकी राजधानी उज्जैन थी लेकिन उत्तर की ओर से हो रहे आक्रमणों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए राजा भोज ने अपनी राजधानी को मांडव में स्थापित किया और वहां उत्कृष्ट जल संरचनाओं का भी निर्माण किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस दौर में मध्यप्रदेश बदल रहा है, प्रदेश में औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति, जलवायु, जन सामान्य का आत्मीय व्यवहार, सड़क-बिजली-पानी जैसी अधोसंरचनात्मक सुविधाएं, प्रदेश को निवेश के लिए आदर्श राज्य बनाती हैं। व्यवसायियों और उद्योगपतियों को कार्य में परेशानी ना आए इस उद्देश्य से ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ-साथ सेक्टर विशेष पर केंद्रित नीतियां लागू की गई है। प्रदेश में मेट्रोपॉलिटन सिटी भी तेजी से विकसित हो रही हैं, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों से आसपास के पांच जिलों को जोड़कर विकसित किया जा रहा है। इसी क्रम में इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, शाजापुर को मिलाकर मेट्रोपॉलिटन विकसित करने की कल्पना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वास्तुकारों को मध्यप्रदेश में गतिविधियों के विस्तार के लिए आमंत्रित किया।

कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि है कि संस्था "द इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स" वर्ष 1917 में स्थापित हुई, इसका मुख्यालय मुम्बई में है। देश के वास्तुविदो को संगठित कर वास्तु कला को बढ़ावा देने में संस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है। वास्तु कला और भवन निर्माण से जुड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से यह संस्था निरंतर समन्वय और सम्पर्क में रहती है। संस्था के सम्मेलन को भारत के सबसे बड़ा वास्तु कला उत्सव के रूप में देखा जाता है।

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