
3 जून 2024। अपने लोकप्रिय डेयरी ब्रांड सांची के लिए मशहूर मध्य प्रदेश में जल्द ही दूध के क्षेत्र में बदलाव देखने को मिल सकता है। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF), जो अमूल ब्रांड के तहत अपने उत्पादों का विपणन करता है, कथित तौर पर सांची का अधिग्रहण करने के लिए बातचीत कर रहा है। इस संभावित अधिग्रहण ने राज्य में दूध की कीमतों और डेयरी किसानों पर इसके प्रभाव के बारे में चर्चाओं को जन्म दिया है। जबकि अमूल का दावा है कि इस कदम से किसानों को लाभ होगा, संभावित मूल्य वृद्धि और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बारे में कुछ चिंताएँ बनी हुई हैं। आइए इस प्रस्तावित अधिग्रहण और इसके संभावित परिणामों के विवरण में गहराई से उतरें।
4 जून को आचार संहिता हटने के बाद, अमूल मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध डेयरी कंपनी सांची का अधिग्रहण कर सकता है।
अमूल के अधीन आने के बाद, एमपी में सांची दूध के दाम बढ़ सकते हैं।
अमूल का दावा है कि यह अधिग्रहण किसानों को लाभ पहुंचाएगा और उनकी आय में वृद्धि करेगा।
एमपी में दूध उत्पादन में सांची अमूल से आगे है, लेकिन अमूल डेयरी उत्पादों की बिक्री में अग्रणी है।
मध्यप्रदेश में दूध के दामों में बढ़ोतरी की संभावना है, क्योंकि गुजरात स्थित डेयरी कंपनी अमूल, 4 जून को आचार संहिता हटने के बाद, मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध डेयरी कंपनी सांची का अधिग्रहण कर सकती है।
यह अधिग्रहण एमपी के दूध उत्पादकों पर क्या प्रभाव डालेगा, इस पर अभी बहस जारी है। कुछ लोगों का मानना है कि यह किसानों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि अमूल दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री में अधिक कुशल है।
लेकिन, दूध उत्पादकों का एक वर्ग चिंतित है कि अमूल के अधीन आने के बाद, सांची दूध के दाम बढ़ सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अमूल ने हाल ही में अपने दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है।
अमूल का दावा है कि यह अधिग्रहण किसानों को बेहतर सुविधाएं और अधिक आय प्रदान करेगा।
यह अधिग्रहण एमपी के डेयरी उद्योग पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
अमूल और सांची दोनों ही सहकारी डेयरी संघ हैं, लेकिन अमूल राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत ब्रांड है, जबकि सांची मुख्य रूप से मध्यप्रदेश में लोकप्रिय है।
अमूल का अधिग्रहण सांची को राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच प्रदान कर सकता है।
यह अधिग्रहण मध्यप्रदेश में डेयरी किसानों के बीच प्रतिस्पर्धा को कम कर सकता है।