हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की संख्या ही अधिक नहीं है बल्कि तरह-तरह की मान्यताओं और मिथकों की भी भरमार है.
दिवाली को लक्ष्मी देवी के पर्व के तौर पर देखा जाता है, देवी लक्ष्मी से जुड़े कई तरह के मिथक प्रचलित रहे हैं.
लाल कपड़ों में आभूषणों से सजी, कमल पर बैठी, सोने और अनाज से भरा बर्तन हाथों में लिए लक्ष्मी सुख, समृद्धि, शक्ति की देवी है.
वो सम्मोहक और चंचल हैं. उन्हें हमेशा पास रखना एक सतत संघर्ष है. दुर्लभ और बहुमूल्य हाथी उन पर पानी की बौछार करते हैं.
उनकी बगल में उनकी जुड़वां बहन अलक्ष्मी बैठती हैं जो गरीबी, दुख और दुर्भाग्य की देवी हैं.
शक्ति, सुख और समृद्धि के साथ आता है भोग से उत्पन्न कचरा, चिपचिपे द्रव्य के रूप में जिसे हलाहल कहते हैं.
कुछ कहानियों के मुताबिक ये समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग की उल्टी है. कचरा किसी भी निर्माण प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है.
जिस मंथन के दौरान लक्ष्मी प्रकट हुईं उसी मंथन में हलाहल भी आया. लक्ष्मी को तो सब चाहते थे लेकिन कोई भी हलाहल नहीं लेना चाहता था.
शिव वैश्विक चीजों के प्रति उदासीन हैं इसलिए वह इच्छित और अवांछित चीजों में फर्क नहीं करते हैं.
उनकी दृष्टि में हलाहल भी अमृत से अलग नहीं है इसलिए वे पूरा विष पी जाते हैं और नीलकंठ कहलाते हैं.
वैष्णव साहित्य में हलाहल को अलक्ष्मी से जोड़ कर देखा गया है जो दुर्भाग्य और दारिद्रय की देवी हैं और लक्ष्मी की जुड़वां बहन हैं.
जैसे कोई भी शानदार चीज़ बिना कचरा पैदा किए नहीं बनती, वैसे ही लक्ष्मी के साथ हमेशा अलक्ष्मी भी होती हैं.
प्रचलित मान्यताओं और मिथकों के मुताबिक जो इन दोनों जुड़वां बहनों की अनदेखी करते हैं वो ऐसा करके ख़तरा मोल लेते हैं. अलक्ष्मी दुख की देवी हैं.
ऐसा माना जाता है कि जब तक उन्हें स्वीकार नहीं किया जाता तब तक किस्मत हमेशा अपने साथ नाश लाती है.
एक कथा के अनुसार लक्ष्मी और अलक्ष्मी दोनों बहनों ने एक व्यापारी से पूछा कि दोनों में से कौन अधिक सुंदर है.
व्यापारी को पता था कि किसी भी एक को नाराज़ करने का क्या नतीजा निकलेगा. इसलिए समझदार व्यापारी ने कहा, 'लक्ष्मी घर में आती हुई अच्छी लगती हैं जबकि अलक्ष्मी घर से बाहर जाती हुई.'
लोग कहते हैं कि यही वजह है कि लक्ष्मी व्यापारियों पर कृपालु रहती हैं.
लक्ष्मी का संबंध मिष्ठान्न से है जबकि अलक्ष्मी का संबंध खट्टी और कड़वी चीजों से.
यही वजह है कि मिठाई घर के भीतर रखी जाती है जबकि नींबू और तीखी मिर्ची घर के बाहर टँगी हुई देखी जाती हैं.
माना जाता है कि लक्ष्मी मिठाई खाने घर के अंदर आती हैं जबकि अलक्ष्मी द्वार पर ही नींबू और मिर्ची खा लेती हैं और संतुष्ट होकर लौट जाती हैं.
दोनों को ही स्वीकार किया जाता है पर स्वागत एक का ही होता है.
लक्ष्मी के दो रूप हैं, भूदेवी और श्रीदेवी. भूदेवी धरती की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी. पहली उर्वरा से जुड़ी हैं, दूसरी महिमा और शक्ति से.
भूदेवी सोने और अन्न के रूप में वर्षा करती हैं. दूसरी शक्तियां, समृद्धि और पहचान देती हैं. भूदेवी सरल और सहयोगी पत्नी हैं जो अपने पति विष्णु की सेवा करती हैं.
श्रीदेवी चंचल हैं. विष्णु को हमेशा उन्हें ख़ुश रखने के लिए प्रयास करना पड़ता है. अगर विष्णु राजा हैं तो भूदेवी साम्राज्य और श्रीदेवी उनका मुकुट, उनकी राजगद्दी हैं.
देवदत्त पटनायक
पौराणिक मामलों के जानकार
(लेखक ने मेडिकल साइंस में शिक्षा हासिल की है, हालांकि पेशे से वो मार्केटिंग मैनेजर हैं. रुचि से वो पौराणिक कथाकार हैं. यह आलेख बीबीसी हिंदी पर 23 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हो चुका है.)
दिवाली और देवी लक्ष्मी से जुड़ी मान्यताएं
Place:
नई दिल्ली 👤By: Digital Desk Views: 21203
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