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अधिकांश सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स बिना तथ्य जांचे करते हैं जानकारी साझा : रिपोर्ट

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 136

15 दिसंबर 2024। सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ते इन्फ्लुएंसर्स के बीच एक चिंताजनक ट्रेंड सामने आया है। UNESCO द्वारा जारी एक अध्ययन के अनुसार, अधिकांश सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स जानकारी साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच नहीं करते। इस प्रवृत्ति ने गलत जानकारी और भ्रामक दावों के तेजी से फैलने की आशंका को बढ़ा दिया है।

62% इन्फ्लुएंसर्स नहीं करते तथ्य-जांच
अगस्त और सितंबर 2024 में 45 देशों के 500 डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स पर किए गए इस सर्वे में पाया गया कि 62% इन्फ्लुएंसर्स अपनी पोस्ट की सटीकता की पुष्टि नहीं करते। लगभग एक-तिहाई इन्फ्लुएंसर्स ने कहा कि वे भरोसेमंद स्रोतों से मिली जानकारी को बिना जांचे साझा कर देते हैं। केवल 37% इन्फ्लुएंसर्स ने कहा कि वे जानकारी साझा करने से पहले फैक्ट-चेकिंग साइट्स का उपयोग करते हैं।

लोकप्रियता के आधार पर तय होती है विश्वसनीयता
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 40% इन्फ्लुएंसर्स जानकारी की विश्वसनीयता का आकलन उसके लाइक्स और व्यूज़ के आधार पर करते हैं। वहीं, 20% इन्फ्लुएंसर्स ने कहा कि वे अपने दोस्तों और विशेषज्ञों की राय को प्राथमिकता देते हैं। केवल 17% इन्फ्लुएंसर्स ने कहा कि वे दस्तावेज़ और प्रमाण को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं।

भारत में वरिष्ठ नागरिकों पर प्रभाव
भारत जैसे देशों में, जहां सोशल मीडिया तेजी से समाचार और जानकारी का प्रमुख स्रोत बनता जा रहा है, यह ट्रेंड विशेष रूप से चिंताजनक है। वरिष्ठ नागरिक, जो अक्सर डिजिटल जानकारी को सच मान लेते हैं, इस गलत जानकारी का शिकार हो सकते हैं।

भोपाल निवासी अशोक वर्मा (65) ने बताया, "हम जैसे लोग, जो अखबारों और टीवी पर भरोसा करते थे, अब सोशल मीडिया से खबरें लेते हैं। लेकिन अगर यह जानकारी गलत है, तो हमें सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है।"

फेक न्यूज का बढ़ता खतरा
2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने वोटरों तक सीधे पहुंचने में बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि, UNESCO ने चेतावनी दी कि इन्फ्लुएंसर्स के पास पत्रकारों जैसी तथ्य-जांच की औपचारिक ट्रेनिंग नहीं होती, जिससे गलत जानकारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

सरकारों के लिए चुनौती
फेक न्यूज और भ्रामक जानकारी को रोकने के लिए सरकारों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, इस साल ओहायो में प्रवासियों को लेकर फैली एक झूठी अफवाह ने समुदाय में तनाव पैदा कर दिया।

समाधान की जरूरत
UNESCO ने सुझाव दिया कि इन्फ्लुएंसर्स की मीडिया और सूचना साक्षरता (Media and Information Literacy) को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही, उन्हें फैक्ट-चेकिंग टूल्स और विश्वसनीय स्रोतों का उपयोग करना सिखाया जाना चाहिए।

अनुभवी डिजिटल मीडिया पत्रकारों की मदद लेने की सलाह
इस समस्या का एक प्रभावी समाधान यह हो सकता है कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को अनुभवी और जिम्मेदार डिजिटल मीडिया पत्रकारों की मदद लेनी चाहिए। ऐसे पत्रकार, जो तथ्य-जांच और सटीक रिपोर्टिंग में माहिर हैं, इन्फ्लुएंसर्स को विश्वसनीय जानकारी साझा करने में मार्गदर्शन दे सकते हैं। इससे न केवल गलत जानकारी का खतरा कम होगा, बल्कि सोशल मीडिया पर भरोसेमंद सामग्री का स्तर भी बढ़ेगा।

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, लेकिन तथ्य-जांच की कमी ने इसे एक गंभीर समस्या बना दिया है। भारत जैसे देशों में, जहां सोशल मीडिया एक प्रमुख सूचना स्रोत बन गया है, यह जरूरी है कि इन्फ्लुएंसर्स और उपयोगकर्ता दोनों जिम्मेदारी से इसका उपयोग करें और अनुभवी पत्रकारों की मदद से सही जानकारी का प्रसार करें।

- दीपक शर्मा

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