19 नवंबर 2024। 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के दौरान, मीडिया प्रतिनिधियों के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम 'फिल्मों की समीक्षा: आलोचना से सिनेमा को पढ़ने तक' आयोजित किया गया। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे के सहयोग से इस कार्यक्रम की योजना बनाई। यह सत्र मीडिया पेशेवरों को फिल्मों की कला और शिल्प को गहराई से समझने और प्रभावी समीक्षाएं लिखने के लिए प्रशिक्षित करने पर केंद्रित था।
फिल्मों की गहराई को समझने के लिए विशेषज्ञ सत्र
पाठ्यक्रम का नेतृत्व एफटीआईआई, पुणे के प्रोफेसर डॉ. इंद्रनील भट्टाचार्य, प्रोफेसर अमलान चक्रवर्ती, और सुश्री मालिनी देसाई ने किया।
डॉ. इंद्रनील भट्टाचार्य ने 'फिल्म विश्लेषण के सिद्धांत' पर एक सत्र में प्रतिभागियों को फिल्मों के गहन अध्ययन के लिए मार्गदर्शन दिया।
प्रो. अमलान चक्रवर्ती ने 'एडिटिंग को एक कलात्मक उपकरण के रूप में' समझाते हुए बताया कि कैसे संपादन किसी फिल्म की कहानी को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रो. मालिनी देसाई ने 'प्रकाश का नाटकीय उपकरण के रूप में उपयोग' विषय पर एक रोचक सत्र प्रस्तुत किया, जिसमें प्रकाश के माध्यम से सिनेमा में भावनाओं और दृश्य प्रभाव को उभारा जाता है।
फिल्म सराहना के सामाजिक और कलात्मक पहलू
प्रो. चक्रवर्ती ने कहा, "फिल्म की सराहना केवल प्रशंसा तक सीमित नहीं है। यह फिल्मों को गहराई से समझने की प्रक्रिया है। कुछ फिल्में हमारे दिलो-दिमाग में बस जाती हैं। हमें यह जानने की जरूरत है कि ऐसा क्यों होता है।" उन्होंने भारत की ऑस्कर 2025 के लिए आधिकारिक प्रविष्टि लापता लेडीज़ का उल्लेख करते हुए बताया कि फिल्में सामाजिक मुद्दों और संदेशों को किस तरह दर्शाती हैं।
डॉ. भट्टाचार्य ने लघु फिल्मों के विश्लेषण पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों को इस रूप के अनूठे कहानी कहने के तरीकों से परिचित कराया।
मीडिया और सिनेमा के बीच गहरा संबंध
एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक श्री पृथुल कुमार ने मीडिया की भागीदारी की सराहना करते हुए कहा, "मीडिया सिनेमा को समझने और उसे दुनिया तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पाठ्यक्रम पत्रकारों को फिल्मी दुनिया के गहरे पहलुओं को समझने में मदद करेगा।"
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पश्चिम क्षेत्र की महानिदेशक, सुश्री स्मिता वत्स शर्मा ने कहा, "मीडिया सिनेमा के उत्सव का मुख्य स्तंभ है। यह पाठ्यक्रम मीडिया को फिल्मों के जटिल पक्षों को समझने और बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करेगा।"
पत्रकारों की प्रतिक्रिया
स्क्रीन ग्राफिया की पत्रकार सुश्री हर्षिता ने कहा, "फिल्म पत्रकारों को प्रशिक्षित करने की यह पहल सराहनीय है। इससे फिल्मों के प्रति हमारी समझ और भी समृद्ध होगी।"
वयोवृद्ध पत्रकार श्री सत्येंद्र मोहन ने कहा, "यह सत्र बेहद शैक्षिक और जानकारीपूर्ण था। इफ्फी 1983 से देख रहा हूं, लेकिन इस बार का अनुभव अलग था।"
कार्यक्रम का समापन और प्रमाण-पत्र वितरण
सत्र के समापन पर, 30 से अधिक प्रतिभागी मीडिया प्रतिनिधियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। यह पहल न केवल फिल्मों की गहरी समझ को बढ़ावा देने में सहायक रही, बल्कि मीडिया और सिनेमा के बीच संवाद को भी सशक्त किया।
इफ्फी 2024: मीडिया प्रतिनिधियों को सिखाई गई फिल्म प्रशंसा की कला
Place:
दिल्ली 👤By: prativad Views: 312
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