
13 मार्च 2025। भारत ने 549 नागरिकों को म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित साइबर अपराध केंद्रों से मुक्त कराकर वापस लाया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इन भारतीयों को सोमवार और मंगलवार को दो समूहों में सैन्य विमानों के ज़रिए स्वदेश लाया गया।
ये भारतीय उन एशियाई और अफ्रीकी नागरिकों में शामिल थे, जिन्हें फ़र्जी आईटी नौकरियों के झांसे में लेकर थाईलैंड या म्यांमार ले जाया गया था। लेकिन वहाँ पहुँचने के बाद, उन्हें कथित तौर पर म्यांमार के अनियंत्रित सीमावर्ती इलाकों में तस्करी कर दिया गया, जहाँ चीनी आपराधिक गिरोह साइबर अपराध केंद्र चला रहे थे। ये केंद्र म्यांमार सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बताया कि सरकार लगातार भारतीय नागरिकों को छुड़ाने के प्रयास कर रही है। मंत्रालय ने बयान में कहा, "इन लोगों को म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर सक्रिय साइबर अपराध गिरोहों के चंगुल में फँसा दिया गया और उन्हें विभिन्न ऑनलाइन धोखाधड़ी गतिविधियों में जबरन शामिल किया गया।"
Government of India arranged for the safe repatriation of 266 Indians yesterday by an IAF aircraft, who were released from cybercrime centres in South East Asia. On Monday, 283 Indians were similarly repatriated.
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) March 12, 2025
Indian Embassies worked with Myanmar & Thailand governments to… pic.twitter.com/m56JcUzLSp
▶️ 7,000 से अधिक बंधकों को बचाया गया
थाई, चीनी और म्यांमार प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियान के तहत बड़ी संख्या में बंधकों को मुक्त कराया गया। समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, इस कार्रवाई में 7,000 से अधिक लोगों को बचाया गया, जिन्हें साइबर अपराधियों द्वारा ठगी के लिए मजबूर किया गया था। इन घोटालों का मुख्य निशाना अमेरिका के नागरिक थे, जिनसे धोखाधड़ी कर उनकी जीवन भर की बचत लूटी जा रही थी।
▶️ भारतीय नागरिक बार-बार बन रहे हैं शिकार
रिपोर्टों के अनुसार, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों में ऐसे साइबर घोटाले बड़े पैमाने पर सक्रिय हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, सैकड़ों भारतीय नागरिक इन आपराधिक संगठनों के शिकार बन चुके हैं। जनवरी 2024 में, लाओस में भारतीय दूतावास ने 67 भारतीयों को बचाया था, जिन्हें एक विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित साइबर घोटाला केंद्रों में जबरन काम करने के लिए तस्करी कर लाया गया था।
▶️ "सुअर काटने" घोटाला: एक सुनियोजित साइबर अपराध
इन साइबर घोटालों में "सुअर काटने" नामक ऑनलाइन ठगी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें अपराधी पहले पीड़ितों से ऑनलाइन दोस्ती करते हैं, फिर उन्हें नकली प्लेटफ़ॉर्म में निवेश करने के लिए मनाते हैं। यह रणनीति चीन से जुड़े आपराधिक संगठनों द्वारा अपनाई जाती है। इस नाम की उत्पत्ति उस प्रक्रिया से हुई है, जिसमें किसान पहले सुअर को पालते और उसे मोटा करते हैं, फिर वध कर देते हैं—यानी अपराधी भी पहले पीड़ितों का विश्वास जीतते हैं और फिर उनकी पूरी जमा-पूंजी लूट लेते हैं।
▶️ हजारों भारतीय विदेशों में फँसे
यह मुद्दा पहली बार सितंबर 2024 में तब सुर्खियों में आया था, जब रिपोर्टों में खुलासा हुआ कि हजारों भारतीय दक्षिण-पूर्व एशिया के विभिन्न देशों में "साइबर गुलामी" का शिकार हो रहे हैं। भारत के आव्रजन अधिकारियों के अनुसार, जनवरी 2022 से मई 2024 के बीच 73,138 भारतीय नागरिक आगंतुक वीजा पर इन देशों में गए थे, जिनमें से लगभग 30,000 अब तक वापस नहीं लौटे हैं।
भारत सरकार ने नागरिकों को सचेत रहने की सलाह देते हुए फ़र्जी जॉब ऑफ़र्स और ऑनलाइन ठगी से सावधान रहने का आग्रह किया है।