
प्रतिवाद डॉट कॉम | अंतरराष्ट्रीय विशेष रिपोर्ट
8 अप्रैल 2025। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी आक्रामक विदेश नीति के तेवर दिखाते हुए ईरान को चेतावनी दी है कि अगर परमाणु कार्यक्रम को लेकर प्रस्तावित वार्ता विफल होती है, तो ईरान को "बहुत बुरे दिन" का सामना करना पड़ेगा।
ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बैठे हुए संवाददाताओं को बताया, “हम ईरान के साथ सीधे बातचीत कर रहे हैं, और शनिवार को एक बहुत बड़ी मीटिंग होने वाली है। अगर बातचीत सफल रही तो बेहतर है, क्योंकि विकल्प जो सामने है, वह बहुत ख़तरनाक है – ऐसा कुछ जिसमें मैं शामिल नहीं होना चाहता और ना ही इज़राइल।”
🕊️ बातचीत या बमबारी? ट्रंप की दोराहे की नीति
ट्रंप ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई को एक पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने नया परमाणु समझौता करने का प्रस्ताव दिया। याद रहे, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2018) में एकतरफा तौर पर 2015 का परमाणु समझौता (JCPOA) तोड़ दिया था।
इसके बाद उन्होंने धमकी दी थी कि अगर ईरान समझौते को नकारता है, तो “ऐसे हमले झेलेगा जो उसने पहले कभी नहीं देखे होंगे।”
🤝 ईरान की प्रतिक्रिया: अप्रत्यक्ष बातचीत, प्रत्यक्ष नहीं
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरक़ची ने पुष्टि की है कि शनिवार को ओमान में अमेरिका और ईरान के बीच उच्च-स्तरीय अप्रत्यक्ष बातचीत होगी। उन्होंने कहा, "यह अवसर भी है और परीक्षा भी। गेंद अब अमेरिका के पाले में है।"
हालांकि, अरक़ची ने इस बात से इनकार किया कि ईरान और अमेरिका के बीच कोई प्रत्यक्ष संवाद चल रहा है।
ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दोहराया: “हम सीधे बातचीत कर रहे हैं, और शनिवार को बहुत महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है।”
⚠️ “ईरान परमाणु हथियार नहीं रख सकता” – ट्रंप
ट्रंप ने सख्त लहजे में कहा,
“अगर बातचीत विफल हुई, तो मैं दावे के साथ कहता हूं कि ईरान बहुत बड़े खतरे में होगा – और मुझे यह कहना अच्छा नहीं लगता, लेकिन यही सच है। ईरान परमाणु हथियार नहीं रख सकता। अगर ऐसा हुआ, तो वो दिन ईरान के लिए बेहद बुरा होगा।”
📜 अतीत की कड़वाहट: अमेरिका की वापसी और ईरान की प्रतिक्रिया
2015 में हुए JCPOA समझौते का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाकर उस पर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाना था। लेकिन 2018 में अमेरिका की वापसी और प्रतिबंधों की पुनर्स्थापना के बाद, ईरान ने भी समझौते के कई प्रावधानों का पालन करना बंद कर दिया।
हालांकि, ईरान आज भी यही कहता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में है।
🧨 UN को भेजी शिकायत: अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय कानून उल्लंघन
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजे गए पत्र में ईरानी राजदूत अमीर सईद इरावानी ने अमेरिका पर “अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन” करने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्रंप की सैन्य धमकियों को "गैर-जिम्मेदार और उकसावे वाली" करार दिया।
वहीं, राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने साफ किया कि “तेहरान बातचीत में विश्वास रखता है, लेकिन आत्मसमर्पण नहीं करेगा।”
🔍 नज़रें शनिवार पर: समझौता या संघर्ष?
अब सारी निगाहें शनिवार को होने वाली ओमान वार्ता पर टिकी हैं। क्या ट्रंप की धमकियों के बावजूद बातचीत के रास्ते खुलेंगे? या फिर पश्चिम एशिया एक और भयानक टकराव की ओर बढ़ रहा है?
फिलहाल सवाल यही है – वार्ता होगी या वार?
✍️ रिपोर्ट: अंतरराष्ट्रीय डेस्क, Prativad.com