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खजुराहों नृत्य महोत्सव पर छाया मोहिनीअट्टम का जादू

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Place: खजुराहो                                                👤By: DD                                                                Views: 18198

विश्व प्रसिद्घ पर्यटक स्थल खजुराहो में इन दिनों खजुराहो नृत्य समारोह की धूम है। हर शाम नृत्यों की अद्भुत छटा बिखर रही है। पाषाण मंदिरों की पृष्ठभूमि वाले मुक्ताकाशी मंच पर इस आयोजन के चौथे दिन गुरूवार की शाम कथक की प्रस्तुति से नृत्यों की शुरआत भी और माहिनीअट्टम का जादू मंच पर छाया रहा। नृृत्यों के सम्मोहन में दर्शक बंधे रहे। मंच पर पहली प्रस्तुति कोलकाता के संदीप मलिक के कथक नृत्य की रही। उन्होंने अपनी कथक शैली से एक नया आयाम प्रस्तुत किया। उनकी प्रारंभिक नृत्य शिक्षा लेखा मुखर्जी के सानिध्य में हुई। उसके बाद विख्यात कथक नर्तक पं. बिरजू महाराज, पं. राममोहन मिश्रा और पं. चित्रेश दास ने उनकी कथक तकनीक को निखारा।



नृत्य प्रस्तुति में संदीप मलिक की भावभंगिमाओं, नृत्य की अदा, भाव, लय और गति देखने लायक रही। दूसरी प्रस्तुति भी कथक नृत्य की रही। इसे लेकर आई नईदिल्ली की शिखा खरे। वे ऊर्जावान नृत्यांगनाओं में शुमार हैं। शिखा ने मंच पर अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व, सुंदर लयकारी, द्रुर्तगति की भावभंगिमाओं से सजे नृत्य की प्रस्तुति अद्भुत तरीक से की। उनके नृत्य संयोजन के सम्मोहन में दर्शक बंधे रह गए।

शिखा खरे के अनुसार उन्होंने लखनऊ घराने के गुरओं से कथक की शिक्षा ली है। उन्हें नृृत्य गुरू विक्रम सिंधे, पं. राममोहन मिश्र, कपिलाराज और बिरजू महाराज मार्गदर्शन मिला। इसी कारण वे कई ख्यातिप्राप्त मंचों से होकर खजुराहो के इस विख्यात मंच पर प्रस्तुति देने आई हैं।



पल्लवी की भावभंगिमाओं में बंधे रहे दर्शक

नृत्योत्सव के मुक्ताकाशी मंच पर त्रिचूर की पल्लवी कृष्णन ने मोहिनीअट्टम नृत्य प्रस्तुत किया। उनकी भावभंगिमाओं के सम्मोहन में दर्शक बंधे रह गए। पल्लवी बहुमुखी प्रतिभा की धनी कलाकार हैं। यह प्रतिभा इस मंच पर पौराणिक कथा पर नृत्य के द्वारा सजीव हो उठी। उनके नृत्य ने अदावु तथा अभिनय की सहज प्रस्तुति देखने को मिली। नृत्य की यही अदा उन्हें अन्य कलाकारों से अलग करती है।



पल्लवी के मुताबिक उन्होंने नृत्य की शिक्षा कला मंडलम शंकरनारायणन से ली है। इसी तरह मंच पर रीता मित्रा मुस्तफी कथा डांस थियेटर, यूएसए द्वारा समूह कथक नृत्य के रूप में गुरूवार की शाम अंतिम नृत्य प्रस्तुति रही। रीता मुस्तफी ने अपने नृत्य संयोजन से दर्शकों को पौराणिक कथा के सार में गोते लगाते हुए अलौकिक संसार की यात्रा करा दी।



नृत्य के माध्यम से उन्होंने भावनाओं की परतें खोलकर अवचेतन मन को जागृत कर दिया। रीता मुस्तफी मूल रूप से भारतीय है परंतु अमेरिका में बसी हैं। वहां भी उन्होंने नृत्य की इस विधा को नहीं छा़डा है। बिरजू महाराज से नृत्य की बारीकियां सीखकर उन्होंने इन बारीकियों को नृत्य प्रस्तुति में इस तरह सजीव किया है कि वह दर्शकों के अंर्तमन की गहराइयों तक उतर जाता है।



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