मध्यप्रदेश के जिन ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत वितरण कंपनियां बिजली नहीं पहुंचा पाती हैं वहां अब किसानों को खेती के लिये बहुत कम अंशदान पर सोलर पम्प मिलेंगे। इसके लिये राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना जारी कर दी है।
योजना के तहत किसान को 3 एचपी तक सोलर पम्प के लिये लागत का 10 प्रतिशत और उससे अधिक क्षमता के सोलर पम्प के लिये लागत का 15 प्रतिशत ही अंशदान देना होगा। बाकी व्यय राज्य एवं केन्द्रांश से पूरा होगा। इस योजना का लाभ लेने के लिये कृषि विभाग के अंतर्गत संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी के वेब पोर्टल पर आवेदन का प्रारुप उपलब्ध होगा। किसान इसके लिये आनलाईन आवेदन कर सकेंगे।
योजना में बताया गया है कि सोलर पम्पों के सोलर पैनलों से वर्ष के लगभग 330 दिन व औसतन 8 घण्टे प्रतिदिन ऊर्जा का उत्पादन होता है जबकि कृषि पम्पिंग हेतु आवश्यक्ता मात्र 100 से 120 दिन ही होती है। इसलिये शेष सोलर ऊर्जा के वैकल्पिक उपयोगों में दोहन के लिये स्थल आधारित प्रस्तावों की कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में बनी सोलर पम्प स्टीयिरिंग कमेटी द्वारा आंकलन एवं अनुमोदन किया जायेगा।
इन स्ािानों पर मिल सकेंगे सोलर पम्प :
यह योजना उन दूरदराज के क्षेत्रों में क्रियान्वित होगी, जहां विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं किया जा सका है और कृषि पम्पों हेतु स्थाई विद्युत कनेक्शन नहीं हैं। ये सोलर पम्प विद्युत लाईन से कम से कम 300 मीटर दूर के ग्राम/मजरे टोले में भी दिये जा सकेंगे तथा जिन क्षेत्रों विद्युत कंपनियों को ज्यादा वाणिज्यिक हानि होती है वहां भी इन्हें दिया जायेगा।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने सीएम सोलर पम्प योजना के तहत चिन्हित स्थलों पर करीब पन्द्रह हजार सोलर पम्प प्रदाय करने का लक्ष्य रखा है। यह योजना प्रभावशील कर दी गई है। यह योजना मार्च 2019 तक लागू रहेगी।
- डा.नवीन आनंद जोशी
जहां बिजली नहीं वहां किसानों को मिलेंगे सोलर पम्प...
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Bhopal 👤By: DD Views: 17455
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