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दुराचारियों को मृत्यु दण्ड का विधेयक मानसून सत्र में आएगा- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 17677

31 मार्च 2017, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बालिकाओं के साथ दुराचार करने वाले को मृत्युदण्ड देने का विधेयक विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। पारित होने के बाद उसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। श्री चौहान आज म.प्र. पुलिस अकादमी में पुलिसकर्मियों के संयुक्त दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में महापौर आलोक शर्मा, अपर मुख्य सचिव गृह के.के. सिंह, पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।



मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पुलिस की सेवा समाज की सुरक्षा का संकल्प हैं। पुलिस सेवा को स्वीकारना देश और समाज के लिए अपनी जिन्दगी को सौंपना है। देश-प्रदेश के विकास की पहली शर्त है कि कानून और व्यवस्था बेहतर हो। यह जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर है। पुलिस की सेवा जनता की सेवा के लिए है। यह जरूरी है कि पुलिस का व्यवहार जनता के लिए फूल सा कोमल, अपराधियों के लिए वज्र सा कठोर हो।



मुख्यमंत्री ने नवदीक्षित पुलिसकर्मियों से कहा कि पुलिस उनकी दूसरी माता है। उसका मान-सम्मान रखना उनका परम कर्त्तव्य है। उसकी लाज बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उसकी छवि धूमिल नहीं हो। पुलिस को भ्रमित करने की कोशिशें भी होती हैं, उनसे सावधान सजग और सतर्क रहें। थानों की छवि ऐसी हो कि जनता को वहाँ पर राहत, सुरक्षा और सुकून मिलें। जनता को थाने में आने में झिझक नहीं हो। अपराधी आस-पास फटकने में भी घबराएं। अपराधियों को किसी भी स्थिति में नहीं छोड़ना है। वे देश-समाज के दुश्मन हैं, माफी के योग्य नहीं हैं। पुलिस की आवश्यकताओं को पूरा करने में सरकार का पूरा सहयोग है। पुलिस के 30 हजार नए पद स्वीकृत किए गए हैं। कुल 25 हजार नए पुलिस आवास बनवाये जा रहे हैं। सी.सी.टी.वी. कैमरे और अन्य सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।



मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को शांति का टापू बनाने का श्रेय पुलिस को है। उसे जब भी जो काम सौंपा गया, सफलतापूर्वक किया है। ट्रेन ब्लास्ट के अपराधियों को मात्र तीन घंटे के भीतर पकड़ने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि साहस, शौर्य, कर्त्तव्यनिष्ठा और पराक्रम में प्रदेश की बेटियाँ भी कम नहीं है। इसीलिए पुलिस के एक तिहाई पद उनके लिए आरक्षित कर दिये हैं। उन्होंने कहा कि किसी से डरकर आत्महत्या सभ्य समाज के लिए कलंक है। इसलिए आपराधिक तत्वों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाये। वातावरण ऐसा बनाए कि महिलाएँ कभी भी कहीं भी स्वतंत्र रूप से विचरण कर सके। उन्होंने पुलिस अकादमी, प्रशिक्षण और प्रशिक्षकों की सराहना करते हुए, उन्हें बधाई दी।



मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी के निदेशक सुशोभन बनर्जी ने बताया कि पहली बार पुलिस अकादमियों का संयुक्त दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया है। इस 89वें दीक्षांत समारोह में कुल 633 पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री ने विभाग में शामिल करने की औपचारिकता पूर्ण की। इनमें सूबेदार, उप निरीक्षक, उप निरीक्षक वि.स.ब.ल. और उप निरीक्षक विशेष शाखा शामिल हैं। इनमें 478 पुरूष एवं 155 महिला पुलिसकर्मी है। प्रारम्भ में मुख्यमंत्री ने परेड का निरीक्षण किया। सलामी ली। कार्यक्रम के अंत में अकादमी की स्मारिका का विमोचन किया। पासआउट पुलिसकर्मियों से परिचय प्राप्त किया।



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