भोपाल 19 जुलाई 2017। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के सवाल पर NCRB-SCRB की रिपोर्ट के आधार पर गृहमंत्री ने दी जानकारी
प्रदेश में वर्ष 2004 से 2016 के बीच तेरह सालों में खेती बाड़ी से जुड़े15129 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई है। इस अवधि में हर साल औसत 1163 मौत हुई हैं। यह स्थिति तब है जब वर्ष 2016 में की गई किसानों की आत्महत्या के वास्तविक आंकड़े सरकार नहीं दे सकी है। इसके साथ ही वर्ष 2017 में सात माह में हुई सैकड़ों मौतों का आंकड़ा भी इसमें शामिल नहीं है। यह जानकारी गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के लिखित सवाल के जवाब में दी है। सिंह ने राज्य सरकार से पूछा था कि वर्ष 2014 से 2016 की अवधि में कितने किसानों ने आत्महत्या की है। एनसीआरबी व एससीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर मांगी गई जानकारी के बाद राज्य सरकार ने लिखित तौर जानकारी दी गई।
वर्ष आत्महत्या
2004 1638
2005 1248
2006 1375
2007 1263
2008 1379
2009 1395
2010 1237
2011 1326
2012 1172
2013 1090
2014 826
2015 581
2016 599
सीधी जिले में सर्वाधिक मौतें
सरकार द्वारा दी गई जानकारी में चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई है कि तेरह सालों में सबसे अधिक आत्महत्या की घटनाएं सीधी जिले में ही घटी हैं। यहां इस अवधि में 1022 खेतीबाड़ी करने वालों ने आत्महत्या की है। विन्ध्य रीजन आत्महत्या के मामले में दूसरे इलाकों से आगे है। रीवा जिले में 996 आत्महत्या किसानों ने की है तथा सतना 804 आत्महत्या के साथ तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा कटनी में 791, खरगोन में 770, जबलपुर में 597, विदिशा में 436 किसानों ने इस अवधि में मौत को गले लगाया है।
BPL में जोड़े जा रहे बोगस नाम: अजय सिंह
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रदेश में गरीबी रेखा की सूची में अमीरों के नाम जोड़े गए हैं। चार साल पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में घोषणा की थी कि बोगस राशनकार्डों की जांच होगी और अपात्रों के नाम काटे जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश स्वर्णिम नहीं बन पाया और वे भी नहीं मानते कि प्रदेश गरीब है। फिर भी गरीबी रेखा में बोगस नाम जोड़े जा रहे हैं।
13 साल में पंद्रह हजार किसानों ने की आत्महत्या
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Bhopal 👤By: DD Views: 18315
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