
19 दिसंबर 2024। मध्य प्रदेश में गौ-कैबिनेट का गठन 18 नवंबर 2020 को किया गया था, जिसका उद्देश्य राज्य में गायों के संरक्षण और संवर्धन से जुड़े मामलों पर नीति-निर्माण और क्रियान्वयन सुनिश्चित करना था। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री लखन पटैल ने विधानसभा में जानकारी दी कि गौ-कैबिनेट में विभिन्न विभागों के मंत्रियों को शामिल किया गया है, जिनकी सूची पुस्तकालय में उपलब्ध कराई गई है।
केवल एक बैठक हुई
मंत्री ने बताया कि गौ-कैबिनेट की अब तक केवल एक बैठक 22 नवंबर 2020 को आयोजित की गई है। इस बैठक में लिए गए निर्णयों का विवरण भी पुस्तकालय में परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध है।
बैठक के निर्णय और क्रियान्वयन
बैठक में लिए गए निर्णयों और उनके क्रियान्वयन की स्थिति को लेकर सवाल उठे। मंत्री ने जानकारी दी कि:
निर्णयों का विवरण परिशिष्ट "ब" में दर्ज है।
किन निर्णयों पर क्रियान्वयन हुआ और किन पर नहीं, इसकी जानकारी परिशिष्ट "स" में दी गई है।
सिर्फ एक बैठक पर उठे सवाल
विधानसभा में प्रश्नकर्ता श्री मधु भगत ने गौ-कैबिनेट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए पूछा कि अब तक केवल एक बैठक क्यों आयोजित की गई और क्या इसके निर्णयों पर पर्याप्त क्रियान्वयन हुआ है।
विशेषज्ञों की राय
गौ-कैबिनेट का गठन राज्य में गायों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही थी, लेकिन केवल एक बैठक और धीमी प्रगति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह की कैबिनेट को प्रभावी बनाना है, तो नियमित बैठकें और ठोस क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
गौ-कैबिनेट के गठन के तीन साल बाद भी इसकी निष्क्रियता पर विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जरूरत है ताकि इसका उद्देश्य पूरा हो सके।