
13 नवंबर 2024। मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या यह सत्र पूरे पांच दिन चलेगा? पिछले कुछ वर्षों में विधानसभा सत्रों की अवधि लगातार घटती जा रही है। दिनों के सत्र घंटों में सिमट रहे हैं और जनता की समस्याओं पर सदन में गंभीर चर्चा नहीं हो पा रही है।
बजट बढ़ रहा, सत्र घट रहे
एक ओर जहां विधानसभा का बजट लगातार बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर सत्रों की अवधि लगातार घट रही है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में एक दिन की विधानसभा बैठक पर लगभग 7 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन सत्रों की अवधि इतनी कम है कि आम लोगों की समस्याओं पर सदन में पर्याप्त चर्चा नहीं हो पाती।
विशेषज्ञों की राय
विधानसभा से जुड़े जानकारों का मानना है कि साल में कम से कम 60 दिन सत्र चलना चाहिए। लेकिन वर्तमान में यह अवधि 15-20 दिन ही रह गई है। इसका कारण यह है कि विधायकों को हर दिन का भत्ता मिलता है, जिसके कारण वे सत्रों की अवधि बढ़ाने के लिए उत्सुक नहीं होते हैं।
जनता की आवाज़ दबी
विधानसभा सत्रों की अवधि कम होने से जनता की आवाज़ दब रही है। विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन में उठाने में असमर्थ हैं। परिणामस्वरूप, जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
क्या है समाधान?
विधानसभा सत्रों की अवधि कम होने की समस्या का समाधान निकालना जरूरी है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सत्रों की अवधि बढ़ाई जाए ताकि जनता की समस्याओं पर गंभीरता से विचार किया जा सके। इसके अलावा, विधायकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लें।
सवाल यह है कि क्या आगामी शीतकालीन सत्र में यह स्थिति बदलेगी?