26 जुलाई, 2017। बारिश का मौसम आ चुका है और साथ ही आ चुका है दूषित पानी से फैलने वाली बीमारियों का मौसम। जहां इस दौरान सामान्य इन्फेक्शन, बुखार और सर्दी-खांसी का प्रकोप होता है तो वहीं ज्यादा गंभीर समस्या हेपेटाइटिस ए संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस ए वायरस सीवेज लाइन के ओवफ्लो तथा इन लाइनों में आए लीकेज सहित अनेक अन्य रास्तों से पीने के पानी में मिल सकता है। बारिश के मौसम में पानी के प्र्रदूषित होने की ज्यादा संभावना सबसे ज्यादा होती है हेपेटाइटिस ए होने की संभावना को बढ़ाती है।
उक्त जानकारी आज आयोजित एक पत्रकार वार्ता में शहर के जाने माने चाइल्ड स्पेश्लििष्ट - डाॅ. एस. के. पण्ड्या (प्रेसीडेंट आईएपी) तथा डाॅ. ललिश झंवर (सेक्रेटरी आईएपी) - ने दी। सीआईआई यंग इंडियन्स द्वारा आयोजित इस पत्रकार वार्ता का उद्देश्य युवा माता-पिताओं को मानसून के दौरान बच्चों में होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक करना था।
हेपेटाइटिस ए के कारणों, लक्षणों, तथा जोखिमों के बारे में चर्चा करते हुए डाॅ. एस.के. पण्ड्या ने बताया कि हेपेटाइटिस ए का सबसे बड़ा कारण हमारे भोजन अथवा पानी में इंसानी मलमूत्र का मिलना होता है। वहीं इस रोग से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना इसके फैलने का दूसरा बड़ा कारण है।
उन्होंने आगे बताया कि आमतौर पर हेपेटाइटिस ए 14 से 28 दिनों में शरीर में पूरी तरह सक्रिय हो जाता है। इसका सबसे सामान्य लक्षण पीलिया हो जाना, बुखार, उल्टी-दस्त, भूख न लगना तथा कमजोरी आना होता है। छह वर्ष या उससे अधिक उम्र के वे 70 प्रतिशत बच्चे जो पीलिया से पीड़ित होते हैं उनमें ये लक्षण और तीव्र देखे जाते हैं।
डाॅ. ललिश झंवर ने बताया कि वे बच्चे और वयस्क जिन्हें हेपेटाइटिस ए से बचने का टीका लगाया जा चुका है उनमें इसके संक्रमण की संभावना बहुत कम होती है। वे लोग जिन्हें यह टीका नहीं लगा है, जो लोग साफ-सफाई नहीं रखते तथा हेपेटाइटिस ए से पीड़ित लोगों के साथ रहते हैं उनमें इसके फैलने की संभावना बहुत अधिक होती है।
उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस ए से संक्रमित लीवर के लिए किसी तरह का विशिष्ट उपचार या दवा नहीं है। इसके संक्रमण से पूरी तरह ठीक होने में लगभग एक महीने का समय लग सकता है। इन दिनों हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए बाजार में वैक्सीन मौजूद है। लाइव एंटेन्युएटेड वैक्सीन का सिंगल डोज लगने के बाद हम सभी में एक महीने के भीतर इस वायरस से लड़ने तथा लंबे समय तक सुरक्षा के लिए एंटीबाॅडीज का निर्माण हो जाता है। इन दिनों ऐसे आधुनिक सिंगल डोज वैक्सीन भी आ गये हैं जिन्हें चमड़ी में लगाया जा सकता है। इससे पूर्व ये वैक्सीन मसल्स में दो बार लगाये जाते थे जिससे बच्चों को बहुत दर्द होता था।
उन्होंने यह भी बताया कि यदि हेपेटाइटिस ए वयस्कों में होता है तो इसके लक्षण ज्यादा तीव्र और परिणाम ज्यादा घातक हो सकता है। जब लीवर के इस जानलेवा संक्रमण से बचाव संभव है तो फिर क्यों जोखिम लेना। इसलिए मानसून शुरू होते ही इसके वैक्सीन को लगवा लेना चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि बच्चों को पूर्व में यह वैक्सीन यदि नहीं लगवाया गया है तो उसे अवश्य लगवा लेना चाहिए।
बारिश का मौसम दे सकता है हेपेटाइटिस ए
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