
22 फरवरी 2025। एम्स भोपाल ने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में "एआई के माध्यम से साइटोलॉजी स्क्रीनिंग - कैंसर स्क्रीनिंग और निदान में प्रगति" विषय पर कार्यशाला आयोजित की। इसमें बताया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब केवल एक बूंद रक्त से कैंसर का पता लगा सकता है।
यह अत्याधुनिक लिक्विड बायोप्सी तकनीक महंगे सीटी स्कैन या एमआरआई की आवश्यकता को खत्म कर सकती है, जिससे कैंसर का निदान तेज, सटीक और व्यापक रूप से सुलभ होगा। प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस पहल का नेतृत्व किया और कहा, "यह क्रांतिकारी तकनीक कैंसर के निदान को पूरी तरह बदल सकती है। यह बिना लक्षण वाले मरीजों में भी प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगा सकती है, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में अनगिनत जानें बचाई जा सकती हैं।"
कार्यशाला में बायोकेमिस्ट्री और पैथोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने व्यावहारिक प्रशिक्षण और व्याख्यान दिए। इसमें प्रोफेसर जगत आर. कंवर (कार्यशाला प्रमुख), डॉ. सुखेस मुखर्जी (समन्वयक), प्रोफेसर वैशाली वाल्के, डॉ. जय चौरसिया, डॉ. शक्ति कुमार यादव और डॉ. नीलम कोल्टे सहित देशभर के 40 से अधिक पैथोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) विशेषज्ञों ने भाग लिया।
कार्यशाला में एआई-आधारित डिजिटल पैथोलॉजी तकनीक भी प्रस्तुत की गई, जो अत्यंत स्पष्ट डिजिटल छवियों के माध्यम से त्वरित चिकित्सा हस्तक्षेप संभव बनाती है। इसमें दो अत्याधुनिक एआई सिस्टम पेश किए गए – "ऑप्ट्रास्कैन अल्ट्रा" (बड़ी प्रयोगशालाओं के लिए) और "ऑप्ट्रास्कैन लाइट" (छोटी प्रयोगशालाओं के लिए)। इन तकनीकों से कैंसर निदान तेज, सटीक और सुलभ होगा।
प्रो. जगत आर. कंवर ने कार्यशाला के समापन पर कहा, "एआई कैंसर निदान और उपचार में क्रांति ला रहा है। यह तकनीक लाखों जीवन बचाने में सक्षम होगी और आने वाले वर्षों में व्यक्तिगत उपचार को और सशक्त बनाएगी।"