
25 अक्टूबर 2024। अल्जाइमर रोग (एडी) के उपचार में संभावित बदलाव लाने के लिए वैज्ञानिकों ने सिंथेटिक, कम्प्यूटेशनल और इन-विट्रो अध्ययनों का उपयोग करके नए अणुओं का विकास और संश्लेषण किया है। ये अणु गैर-विषाक्त हैं और उपचार में प्रभावी साबित हो सकते हैं।
अल्जाइमर रोग मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के बीच संचार को बाधित करता है, जिससे स्मरण शक्ति और व्यवहार में बदलाव आता है। यह बीमारी डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है, जो उम्र, आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली के कारकों से प्रभावित होती है। इस समय उपलब्ध उपचारों में एन-मिथाइल-डी-एस्पार्टेट रिसेप्टर प्रतिपक्षी (मेमेंटाइन) और एंटी-कोलिनेस्टरेज़ दवाएं शामिल हैं, लेकिन इनकी प्रभावशीलता सीमित है और इनके कई दुष्प्रभाव हैं।
पुणे के अगरकर शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. प्रसाद कुलकर्णी और डॉ. विनोद उगले ने नए अणुओं के विकास में तेजी लाने के लिए एक तेज़ एक-पॉट, तीन-घटक प्रतिक्रिया तकनीक विकसित की है। इन अणुओं की ताकत और साइटोटॉक्सिसिटी का परीक्षण इन-विट्रो स्क्रीनिंग विधियों के माध्यम से किया गया, जिसमें ये अणु कोलिनेस्टरेज़ एंजाइमों के खिलाफ प्रभावी और गैर-विषाक्त पाए गए हैं।
इन अणुओं को अन्य दवाओं के साथ मिलाकर दोहरे एंटी-कोलिनेस्टरेज़ उपचार तैयार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। भविष्य में वैज्ञानिक इन अणुओं को और अधिक प्रभावी एंटी-एडी लिगैंड्स में विकसित करने का प्रयास करेंगे, जिससे अल्जाइमर के इलाज में नई संभावनाएं खुलेंगी।