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राज्य सरकार ने खत्म किया मीसाबंदियों का फर्जीवाड़ा

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 18004

4 सितंबर 2017। प्रदेश की शिवराज सरकार ने मीसाबंदियों को दी जाने वाली सम्मान निधि में हो रहे फर्जीवाड़े का खत्म कर दिया है। ऐसे करीब आठ सौ प्रकरण थे जिन्हें अब मीसाबंदी की सम्मान निधि नहीं मिलेगी।



दरअसल लोक नायक जयप्रकाश नारायण मीसा/डीआईआर राजनैतिक या सामाजिक कारणों से निरुध्द व्यक्ति सम्मान निधि नियम 2008 में 4 जनवरी 2012 को संशोधन किया गया था कि जहां जेल, पुलिस थाना तथा जिला मजिस्ट्रेट का निरुध्द संबंधी शासकीय रिकार्ड उपलब्ध नहीं है, केवल उन्हीं प्रकरणों में आवेदक के साथ जेल में मीसाकाल में निरुध्द रहे किन्हीं दो मीसा/डीआईआर के अधीन राजनैतिक एवं सामाजिक कारणों से निरुध्द व्यक्तियों के शपथ-पत्र/प्रमाणीकरण को मान्यता दी जायेगी। शपथ-पत्र में प्रमाणीकरणकत्र्ता द्वारा घोषणा की जायेगी कि वे व्यक्तिगत ज्ञान एवं स्मृति के आधार पर यह प्रमाणीकरण कर रहे हैं और इस प्रमाणीकरण के असत्य होने के वैधानिक परिणामों से वे अवगत हैं। इस प्रावधान के कारण मीसाबंदी की सम्मान निधि लेने के लिये आवेदन-पत्रों की बाढ़ आ गई थी तथा करीब आठ सौ व्यक्तियों ने यह सम्मान निधि लेने के लिये शपथ-पत्र लगवा कर आवेदन कर दिये थे। परन्तु कई वास्तविक मीसाबंदियों ने इस प्रावधान का विरोध किया क्योंकि उन्हें मालूम था कि इस प्रावधान की आड़ में कई फर्जी व्यक्तियों ने आवेदन कर दिया है। इसीलिये अब राज्य सरकार ने इस प्रावधान को खत्म कर दिया है।



अब एक माह से कम बंद वालों को भी लाभ :

राज्य सरकार ने अब नया प्रावधान कर दिया है। जो लोग मीसा/डीआईआर के अधीन राजनैतिक एवं सामाजिक कारणों से जेल में एक माह से कम अवधि के लिये भी बंद रहे हैं, उन्हें भी सम्मान निधि मिलेगी लेकिन यह सम्मान निधि प्रति माह 8 हजार रुपये होगी। ऐसे करीब चार सौ व्यक्तियों को अब लाभ मिलेगा। उन्हें मीसाकाल में जेल में रहने का कोई एक रिकार्ड देना होगा और उन्हें 30 नवम्बर 2017 तक आवेदन करने का मौका दिया गया है। ऐसे लोगों के पास यह रिकार्ड भी है कि उन्हें वर्ष 1977 में आई जनता पार्टी की राज्य सरकार में वीरेन्द्र कुमार सखलेचा के मुख्यमंत्रित्वकाल में 6 प्रतिशत ब्याज की दर पर 25 हजार रुपये का ऋण भी राज्य सरकार की ओर से मिला तथा जिला कलेक्टरों द्वारा इन प्रकरणों में उन्हें मीसाबंदी मानने का आदेश पारित किये जाने का कागज भी है। उल्लेखनीय है कि मीसा या डीआईआर में बंद कोई भी व्यक्ति कम से कम पन्द्रह दिन जेल में बंद रहा है तथा इससे कम अवधि में छोडऩे का कलेक्टरों को अधिकार ही नहीं था।



इस समय एक माह या इससे अधिक समय से बंद लोगों को प्रति माह 25 हजार रुपये सम्मान निधि मिल रही है। प्रदेश में ऐसे करीब 24 सौ व्यक्ति हैं। यह सम्मान निधि उन्हें ही देने का नियमों में प्रावधान है जो राजनैतिक या सामाजिक कारणों से जेल में बंद हुये थे। आपराधिक कारणों से जेल में बंद हुये लोगों को यह सम्मान निधि नहीं मिलती है।



लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी के अनुसार, अब एक माह से कम अवधि के लिये मीसा या डीआईआर में के तहत जेल में बंद लोगों को भी सम्मान निधि का लाभ मिलेगा। इसका कोई प्रमाण न होने पर दो व्यक्तियों से शपथ-पत्र लेने का प्रावधान खत्म होने से फर्जीवाड़ा रुका है। वैसे भी 42 साल पहले लगे आपातकाल में बंद हुये लोग अब धीरे-धीरे दिवंगत हो रहे हैं। एक माह से कम वाला प्रावधान सरकार ने इसीलिये किया है ताकि मीसा या डीआईआर में बंद रहे लोगों को भी लाभ मिल जाये।





- डॉ नवीन जोशी



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