ग्लोबल स्किल पार्क की सभी सीटें भरना सुनिश्चित किया जाए: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 433

हर विकासखंड में आईटीआई की स्थापना हो, उद्योगों की मांग के अनुसार हो कौशल प्रशिक्षण

9 अप्रैल 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को समत्व भवन में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि ग्लोबल स्किल पार्क की ब्रांड वैल्यू को सुदृढ़ करते हुए इसकी सभी सीटों को भरना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि स्किल पार्क में संचालित पाठ्यक्रमों की उपयोगिता और रोजगारपरकता को उजागर करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार अभियान चलाया जाए।

डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में मौजूद उद्योगों की मांग के अनुसार कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने हर विकासखंड में आईटीआई की स्थापना के निर्देश दिए और कहा कि स्थानीय औद्योगिक इकाइयों के सहयोग से आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थानों के विद्यार्थियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए, जिससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल सके।

बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने विभागीय योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रगति पर असंतोष जताते हुए कहा कि युवाओं के कौशल विकास और रोजगार की दिशा में परिणाममूलक गतिविधियां संचालित की जाएं। इसके लिए स्पष्ट लक्ष्य और समय-सीमा तय की जाए।

डॉ. यादव ने कहा कि विदेशी भाषाओं जैसे जर्मन और जापानी में दक्षता रखने वाले युवाओं के लिए वैश्विक स्तर पर रोजगार के अच्छे अवसर हैं। ऐसे में उन भाषाओं के प्रशिक्षण की भी समुचित व्यवस्था की जाए, जिनमें रोजगार की संभावना अधिक है।

मुख्यमंत्री ने तकनीकी रूप से दक्ष विश्वविद्यालयों और निजी औद्योगिक इकाइयों को शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ने की बात भी कही, ताकि युवाओं को व्यवहारिक प्रशिक्षण मिल सके और प्रदेश को उद्योगों के लिए कुशल मानव संसाधन प्राप्त हो।

बैठक में कौशल विकास नीति, रोजगार कार्यालयों एवं कौशल विकास विभाग के विलय, स्थानीय और पारंपरिक प्रशिक्षण विधाओं की पहचान के लिए प्रारंभ किए गए ‘श्रुति’ कार्यक्रम की भी समीक्षा की गई।

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