
✍🏻️ प्रतिवाद रिपोर्ट |
10 अप्रैल 2025। मध्यप्रदेश में करीब 8 वर्षों से अटके प्रमोशनों को लेकर राज्य सरकार अब निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में है। लगभग 4 लाख सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन देने से पहले सरकार सभी कानूनी और प्रशासनिक पेचिदगियों को दूर करने में जुट गई है ताकि किसी भी तरह की कानूनी चुनौती की स्थिति में नीतिगत निर्णय टिक सके।
इस लंबे इंतजार के दौरान 1 लाख से अधिक कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो गए। अब सवाल यह है कि क्या उन्हें पिछली तारीख से लाभ मिल पाएगा? यह मुद्दा राज्यभर के कर्मचारियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
👉 कानूनी समीक्षा के आधार पर बनेगी नई नीति
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार इस बार कोई भी फैसला जल्दबाज़ी में नहीं लेना चाहती, जिससे बाद में अदालत में जाकर उसे पलटना पड़े। इसलिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के हर फैसले का गहराई से अध्ययन किया जा रहा है, विशेषकर प्रमोशन से जुड़े मामलों का।
इस नई नीति का कानूनी आधार सुप्रीम कोर्ट का 'जर्नैल सिंह बनाम लक्ष्मणदास गुप्ता' केस होगा। अधिकारी ने बताया कि सरकार सभी वर्गों – सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति – को प्रमोशन का लाभ देना चाहती है। प्रक्रिया शुरू करने से पहले कानूनी स्थिति को पूरी तरह मजबूत किया जा रहा है।
👉 मुख्यमंत्री लेंगे अंतिम निर्णय
GAD सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ही तय करेंगे कि कौन-सा फार्मूला अपनाया जाएगा। चूंकि प्रमोशन की प्रक्रिया वर्ष 2016 से लंबित है, इसलिए कर्मचारियों की उम्मीदें चरम पर हैं।
👉 "रिक्त पद की तिथि से प्रमोशन मिले" – कर्मचारी संगठन
मंत्रालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुभाष वर्मा ने कहा कि यदि सरकार रिक्त पद की तिथि से प्रमोशन देती है, तो रिटायर हो चुके कर्मचारियों को भी पेंशन में लाभ मिल सकता है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले कानून विभाग ने बैकडेटेड प्रमोशन को मंजूरी दी थी। उन्हें उम्मीद है कि सरकार 2016 से इंतजार कर रहे कर्मचारियों के साथ न्याय करेगी।
👉 "योग्यता तिथि से मिले प्रमोशन" – कर्मचारी नेता
कर्मचारी नेता सुधीर नायक ने कहा कि प्रमोशन रोके जाने के लिए कर्मचारी जिम्मेदार नहीं थे, इसलिए उन्हें योग्यता प्राप्त होने की तिथि से प्रमोशन मिलना चाहिए। ऐसा होने पर सेवानिवृत्त कर्मचारी भी आंशिक रूप से लाभान्वित होंगे। उन्होंने मांग की कि प्रमोशन प्रक्रिया समयबद्ध होनी चाहिए, जैसे राज्य प्रशासनिक अधिकारियों के मामले में होती है।
अब सबकी निगाहें सरकार के अगले फैसले पर टिकी हैं, जो लाखों कर्मचारियों के करियर और सेवानिवृत्ति लाभों को सीधे प्रभावित करेगा।
– प्रतिवाद डॉट कॉम ब्यूरो
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