
👉 केंद्र सरकार की योजनाओं पर भी यही नियम लागू
10 अप्रैल 2025। मध्य प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने एक आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि अब राज्य में कोई भी नया प्रोजेक्ट कैबिनेट की मंजूरी के बिना लागू नहीं किया जा सकेगा। यह नियम केंद्र सरकार की योजनाओं पर भी समान रूप से लागू होगा।
वित्त विभाग के आदेश के अनुसार, किसी भी नई योजना या परियोजना को लागू करने से पहले संबंधित विभाग को पहले लागत परीक्षण समिति (Cost Screening Committee) से मंजूरी लेनी होगी। यह समिति विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में कार्य करेगी।
इसके बाद परियोजना की लागत के आधार पर प्रस्तावों को तीन प्रकार की वित्तीय समितियों को भेजा जाएगा:
50 करोड़ रुपये तक की परियोजनाएं स्थायी वित्त समिति (Standing Finance Committee) को भेजी जाएंगी, जिसमें संबंधित विभाग के सचिव और अन्य अधिकारी शामिल होंगे।
50 करोड़ से 200 करोड़ रुपये तक की परियोजनाएं सचिव (वित्त) की अध्यक्षता वाली समिति को भेजी जाएंगी।
200 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं परियोजना परीक्षण समिति (Project Screening Committee) को भेजी जाएंगी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे।
👉 इसके अलावा, केवल राजस्व व्यय वाली परियोजनाओं के लिए:
100 करोड़ रुपये तक की योजनाएं व्यय समिति (Finance Expenditure Committee) को भेजी जाएंगी, जिसकी अध्यक्षता भी सचिव (वित्त) करेंगे।
100 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं राजस्व परियोजना परीक्षण समिति (Revenue Project Screening Committee) को भेजी जाएंगी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे।
अगर किसी परियोजना की लागत अनुमोदित बजट से 10% से अधिक बढ़ती है, तो इसके लिए भी संबंधित समिति से पुनः मंजूरी लेनी अनिवार्य होगी।
👉 31 मार्च 2026 तक चलने वाली योजनाओं के लिए फिर से लेनी होगी मंजूरी
वित्त विभाग के परिपत्र में कहा गया है कि जो योजनाएं 31 मार्च 2026 तक चलेंगी, उनके लिए नई मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। साथ ही, इन योजनाओं को सितंबर 2025 तक पूरा करना होगा। इसके बाद विभाग ऐसे प्रोजेक्ट्स पर एक भी पैसा खर्च नहीं करेगा।
गौरतलब है कि 16वां वित्त आयोग वर्ष 2026 से 2031 तक कार्य करेगा और इन्हीं वर्षों तक अनुमोदन मान्य रहेगा।