9 सितंबर 2017। मिशन 2018 की तैयारी में भाजपा और कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी ने भी कमर कस ली है।230 विधानसभा में अपने प्रत्याशी उतारने के एलान के साथ आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के असंतुष्टों को भी लुभाने में लगी है।ऐसे में अगले चुनावों में बीजेपी क्या गुल खिलायेगी देखना दिलचस्प होगा।
दिल्ली में बनी सरकार और पंजाब के चार सांसदों ने आप की उम्मीदें देश भर में बढ़ा दी थी। लेकिन पंजाब समेत गुजरात की हार ने आप का मनोबल तोड़ दिया था। लेकिन हाल ही में दिल्ली के बवाना में हुए उपचुनाव में आप की अप्रत्याशित जीत ने आप को उत्साहित कर दिया है।यही वजह है कि आप मध्य प्रदेश में सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही हैं।वहीं बीजेपी और कांग्रेस से असंतुष्ट नेता भी आप में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।
दरअसल 14 सालो से प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी के नेताओं की महत्वकांछाए बढ़ चुकी है।कभी पार्टी विद द डिफरेंस कहलाने वाली बीजेपी में टिकिट या पद न मिलने पर विद्रोह होना आम हो गया है।अभी भले ही चुनाव में साल भर का समय हो पर छोटे और मझोले स्तर के भाजपा नेता आप जॉइन कर रहे हैं।
पूनम चंद परमार पूर्व एल्डरमेन बीजेपी महिदपुर
चुनेंद्र बिजेन ब्लॉक अध्यक्ष बीजेपी चौरई
भगत राम जनपद सदस्य बीजेपी बालाघाट
प्रदीप शर्मा मंडल अध्यक्ष भाजपा अमायन भिंड
ब्रह्मकिशोर दुबे पूर्व मंडल अध्यक्ष भिंड
अनिमेष पांडेय बीजेपी छिंदवाड़ा।
जाहिर है अभी चुनाव में साल भर बाकी है लेकिन चुनाव आते आते कितने भाजपाई आप में शामिल होंगे कहा नही जा सकता। लेकिन बीजेपी आप में शामिल होने वाले भाजपाइयों से निश्चिन्त है।
अकेली बीजेपी ही नही कांग्रेस के भी नेताओं ने पार्टी छोड़ आप का दामन पकड़ा है। जुलाई से लेकर अब तक आप ने एक दर्जन जिलों में दर्ज़नो कांग्रेसी भाजपाइयों समेत कई नेताओं को तोड़ा है।
लखन अग्रवाल वरिष्ठ कांग्रेस नेता सतना
नंदलाल साहू वरिष्ठ कांग्रेस नेता साहू समाज अध्यक्ष सतना
आनंदपाल चौहान वरिस्थ कांग्रेस नेता कालूहेड़ा
पार्टी को नजरें भाजपा कांग्रेस समेत बसपा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के भी उपेक्षित नेताओं पर है।एक महीने केभीतर पार्टी ने बालाघाट छिंदवाड़ा भिंड सतना उज्जैन डिंडोरी सिंगरौली रीवा ग्वालियर खरगोन बड़वानी अलीराजपुर जगहों के असंतुष्ट को पार्टी में जगह देकर अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश की है।लेकिन बीजेपी की तरह कांग्रेस भी दलबदलू नेताओं से बेफिक्र नजर आ रही है।
दरअसल आप का गैर राजनीतिक छेत्रों से प्रत्याशी जुटाने का आप का अनुभव अच्छा नही रह है इसलिए पुरानी राजनीतिक पार्टियों का टेस्टेड फार्मूला आप अपना रही है।दूसरे दलों के दमदार लेकिन असंतुष्ट को जुटाओ ओर पार्टी को ताकतवर बनाओ।लेकिन ये फार्मूला अभी तक जनाधार विहीन आप के लिए कितना कारगर होगा ये 2018 के चुनावी नतीजे बताएंगे।
- डॉ. नवीन जोशी
भाजपा और कांग्रेस के असंतुष्ट "आप" की शरण में.. पाला बदलती सियासी चाले शुरू
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Bhopal 👤By: PDD Views: 17907
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