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कुपोषण पर अपनों से हारी सरकार....बेबस सीएम, आक्रामक हुवे विधायक

Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 21059

28 नवंबर 2017। अब तक बच्चों कुपोषण ओर कुपोषण से मौत के मामले को लेकर चर्चा में रहने वाला मध्य प्रदेश एक बार फिर चर्चा में है। वजह भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा अपनी ही सरकार को कुपोषण को लेकर गंभीर न होने के बयान देना। भाजपा के विधायक पूर्व मुख्य मंत्री बाबूलाल गौर ने कुपोषण के मसले पर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पिछले 6 महीने में कुपोषण के आंकड़े बढ़े है ओर सरकार को इस मसले पर ध्यान देना चाहिए।



. मध्य प्रदेश सरकार और उसकर जनप्रतिनिधि भले ही मध्य प्रदेश में तरक्की का दावा ओर वादा करते हों, लेकिन जमीनी हक़ीक़त कुछ ओर हो कहते नजर आती है। आमतौर पर कुपोषण के मामले में प्रदेश की बदतर स्थिति का खुलासा या तो कैग की रिपोर्ट में होता है या विधनसभा में सरकार के जवाबों में या फिर विपक्ष के आरोपों से। लेकिन अगर सत्ता पक्ष से जुड़ा विधायक ही ओर वो भी पूर्व मुख्यमंत्री कुपोषण को लेकर सरकार को नाकाम बताए तो ये इससे ज्यादा शर्मिंदिगी की बात सरकार के लिए कुछ नही हो सकती है। ऐसा ही कुछ हुआ आज जब सरकार को कुपोषण के मसले पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने नाकाम बात दिया उनके मुताबिक सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नही है। अकेले ग्वालियर में कुपोषण के 25 हजार से ज्यादा मामले सामने आए है।



जहां प्रदेश कुपोषण के मामले में देश में नम्बर 1 है तो वहीं बलात्कार के मामले में भी पहले स्थान पर है और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक शिशु मृत्यु दर में भी मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है। वहीं हाल ही में आई कैग की रिपोर्ट भी बाबूलाल गौर के दावों को सच करते नजर आते है।



-कैग की रिपोर्ट के मुताबिक भ्रस्टाचार के चलते पिछले 5 सालों में मध्य प्रदेश के 75 लाख बच्चे और 7.99 लाख गर्भवती महिलाएं पोषण आहार से वंचित रह गई ।



-पिछले 5 साल में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कुपोषित बच्चो के पूरक पोषण आहार पर 5 हजार 12 करोड़ 17 लाख खर्च किये गए।



-कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 32 फीसदी बच्चो तक पोषण आहार नही पहुचा।



- आंगनबाड़ी केंद्रों में बड़ी संख्या में फ़र्ज़ी नाम से बच्चो की एंट्री।



-गुणवत्ता हीन पोषण आहार देना।



-कुपोषण के मामले में भोपाल जिला नंबर वन पिछले एक साल यानी 1 जनवरी 2016 से 1 जनवरी 2017 तक 5 साल से कम उम्र के 1704 बच्चो की मौत।



जाहिर है ये आंकड़े साफ बताते है कि क्यों मध्य प्रदेश कुपोषण के मसले पर एशिया में नंबर 1 है। बावजूद इसके सरकार अब भी कह रही है कि कुपोषण के मसले पर गंभीर है।



- जिस प्रदेश में लाडली लक्ष्मी और कन्यादान जैसे योजनाएं चलाकर मुख्यमंन्त्री शिवराज जगत मामा बन चुके हो। उस प्रदेश में अगर सरकारी लापरवाही से कुपोषण के चलते लाड़लियों ओर लाडलों की मौत हो गीतो सरकार पर कलंक लगना लाजमी होगा। ओर ये कलंक का टीका इस सरकार पर कोई और नही सरकार के ही विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री लगाते नजर आ रहे है।





- डॉ. नवीन जोशी

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