21 मार्च 2018। रामपाल सिंह की कथित बहू की आत्महत्या के मामले से शुरु हुई चर्चा के बीच कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लेकर आ गई.
बजट सत्र में मध्यप्रदेश विधानसभा भारी हंगामे के बीच अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. अजय सिंह ने इसे एमपी के इतिहास का सबसे काला दिन बताया है.
दरअसल, रामपाल सिंह की कथित बहू की आत्महत्या के मामले से शुरु हुई चर्चा के बीच कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लेकर आ गई. कांग्रेस ने नए नियमों का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में सरकार मनमानी कर रही है.
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष संसदीय कार्यमंत्री की तर्ज पर काम कर रहे हैं, हालांकि ये पहली बार नहीं है कि किसी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो. इससे पहले जमुना देवी ईश्वरदास लोहाणी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आईं थीं. विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के खिलाफ तत्कालीन नेताप्रतिपक्ष गौरीशंकर शेजवार अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे. और यज्ञदत्त शर्मा और काशीप्रसाद पांडे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है.
नियमों के मुताबिक सत्र के 14 दिन पहले अविश्वास प्रस्ताव दिया जाता है जिससे चर्चा हो सके. लेकिन सत्र के अवसान के बाद ये प्रस्ताव ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है.
इस पूरे मामले में विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा का कहना है कि नियम काला कानून नहीं है. ये संशोधन जब सदन में रखे गए थे तब कांग्रेसी वहां मौजूद थे और नियम संशोधन समिति में भी कांग्रेस के 3 विधायक थे. पटल पर रखे जाने के 7 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज कराई जानी चाहिए थी लेकिन कांग्रेस की ओर से आपत्ति नहीं आई. हालांकि शर्मा ने कहा कि अगर संशोधन के लिए कोई प्रस्ताव आता है तो सरकार उसपर विचार ज़रुर करेगी.
दरअसल कांग्रेस की आपत्ति नए नियमों को लेकर है. कांग्रेस के आरोपों के मुताबिक,
1- नए नियमों के तहत विश्वास प्रस्ताव उसी दिन लाया जा सकेगा, जिस दिन का प्रस्ताव होगा। वहीं अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विपक्ष को पूर्व नोटिस देना होता है.
2- नए नियमों में वीआईपी की सुरक्षा के खर्च को लेकर जानकारी देना अनिवार्य नहीं होगा. विस अध्यक्ष का कहना है कि आखिर जानकारी देने की ज़रुरत क्यों है.
3- कांग्रेस का आरोप है कि नए नियमों की आड़ में सरकार मनमानी कर रही है. रामपाल सिंह के मामले में चर्चा नहीं की गई.
4- कांग्रेस ने आसंदी की मर्यादा तोड़ने के आरोप भी विधानसभा अध्यक्ष पर लगाए.
हालांकि अब सत्र के अवसान के बाद सारे आरोप धरे रह गए लेकिन विपक्ष ने इस अविश्वास प्रस्ताव को विधानसभा के इतिहास में दर्ज करा दिया है.
अविश्वास प्रस्ताव के बीच एमपी विधानसभा स्थगित, कांग्रेस ने बताया सबसे काला दिन
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