मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक के लिए कांग्रेस जिम्मेदार। कमलनाथ बोले- सुप्रीम कोर्ट में आपके वकील चुप थे।
21 दिसंबर 2021। मध्य प्रदेश विधानसभा में शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। आज सदन में कार्रवाई शुरू होते ही विपक्ष ने चक्रानुक्रम आधार पर चुनाव न कराने, परिसीमन निरस्त करने और ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने पर सहमति जताई।
सदन में ओबीसी आरक्षण पर प्रश्नकाल रोककर चर्चा चर्चा कराई जा रही है। नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने प्रश्नकाल शुरू होते ही यह विषय उठाया और कहा कि ओबीसी आरक्षण का विषय बहुत महत्वपूर्ण है इस पर तत्काल चर्चा कराई जानी चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि करोड़ों लोगों से जुड़ा हुआ विषय है, इससे बड़ा कोई विषय नहीं है। करोड़ों लोगों का भविष्य खतरे में हैं अविलंब इस पर चर्चा शुरू कराई जाए लेकिन उन्होंने एक निवेदन और किया की चर्चा गंभीर है, इसलिए सदन की गरिमा का ध्यान रखा जाए बीच में रोका टोकी ना हो और जब मैं बोलूं तो मुझे भी शांति से सुना जाए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि जब नेता सदन अपनी बात रखें तो शोर-शराबा ना करें और बाहर भी ना जाएं। इस परंपरा को रोकें और उनको भी सुनें।
विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों पर कुठाराघात किया है। सरकार की नीयत चुनाव कराने की कभी थी ही नहीं। यदि होती तो ऐसा अध्यादेश नहीं लाती, जो संविधान और पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध हो। इसके खिलाफ ही याचिकाएं हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में लगी थी। कांग्रेस सरकार ने परिस्थितियों को देखते हुए पंचायतों का परिसीमन और आरक्षण किया था लेकिन भाजपा सरकार ने उसे अध्यादेश के माध्यम से निरस्त कर दिया। जबकि ऐसा करने का कोई कारण नहीं था। कांग्रेस सरकार हमेशा से अन्य पिछड़ा वर्ग की हितेषी रही है। दिग्विजय सरकार के समय अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया गया। जनप्रतिनिधियों को तमाम अधिकार दिए गए लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही उनके अधिकारों को छीनने का काम किया। मध्य प्रदेश में आज पिछड़ा वर्ग आयोग की क्या स्थिति है वह किसी से छुपी नहीं है। लोग दो साल से चुनाव की तैयारी कर रहे थे लेकिन उनके सपनों को भाजपा सरकार ने चकनाचूर कर दिया। जो याचिकाएं दायर की गई थी उनमें अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का कोई विषय ही नहीं था, जबकि यह माहौल भाजपा के नेताओं द्वारा बनाया जा रहा है कि कांग्रेस की वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जा रहा आरक्षण समाप्त हुआ है यदि सरकार वाकई में अन्य पिछड़ा वर्ग की हितेषी है वह सदन में प्रस्ताव लाए और न्यायालय में तत्काल याचिका दायर करें ऐसा चुनाव जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व ना हो कोई मायने नहीं रखता है।सत्तापक्ष की ओर से स्थगन प्रस्ताव पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पक्ष रखते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने चुनाव कराने का निर्णय लिया था। इसके लिए अध्यादेश भी जारी किया गया था, जो न्यायसंगत था। कांग्रेस सरकार ने मनमाने तरीके से रोटेशन किया था। कांग्रेस के लोगों द्वारा बार-बार यह प्रयास किया गया कि किसी भी तरह से चुनाव पर रोक लग जाए। जिन लोगों ने भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कीं, वे सभी कांग्रेस पक्ष के हैं। ओबीसी आरक्षण को लेकर आज जो स्थिति है, उसके लिए 100 प्रतिशत कांग्रेस जिम्मेदार है। विवेक तन्खा अधिवक्ता और कांग्रेस के सांसद हैं। वे दस करोड़ रुपये का नोटिस देने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन जो 10 पीढ़ियां बर्बाद कर दी उसका क्या। यदि जान भी देनी पड़ी तो देंगे लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को रुकने नहीं देंगे इसके लिए हमारी भाजपा सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ में स्थगन प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला भाजपा सरकार के उस अध्यादेश के खिलाफ गया था, जिसमें उन्होंने रोटेशन और परिसीमन को निरस्त कर दिया था। हमारी सरकार ने सीमांकन और रोटेशन किया था, जो विधिसम्मत था। भाजपा सरकार ने डेढ़ साल तक कोई चुनाव नहीं कराए। जबकि, इस दौरान विधानसभा के उपचुनाव भी हो गए। फिर अचानक अध्यादेश ले आए, जिससे प्रभावित पक्ष कोर्ट गए। विवेक तन्खा को लेकर जो बात कही जा रही है, वह पूरी तरह असत्य है। कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई याचिका ही नहीं थी। जब यह निर्णय सुनाया जा रहा था, उस समय सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता मौजूद थे, पर उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा। जबकि चाहते तो कह सकते थे कि हमें यह स्वीकार नहीं है। महाराष्ट्र की संदर्भ में न्यायालय ने आदेश पारित किया यह बात किसी से छुपी नहीं है, सब कुछ रिकॉर्ड पर है यदि सरकार की नीयत साफ होती तो अगले दिन इस आदेश के विरुद्ध कोर्ट जा सकती थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया करोड़ों लोगों के अधिकार इस आदेश से छिन गए। ऐसे चुनाव का कोई मतलब नहीं है जिसमें बड़े वर्ग की सहभागिता ना हो। उन्होंने कहा कि हम यहां उपाय निकालने के लिए बैठे हैं। आप कल ही कोर्ट चलें, हम आपके साथ-साथ चलेंगे। यह विषय राजनीति का नहीं है।
आखिर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के लोगों द्वारा जो रोटेशन के खिलाफ याचिका लगाई गई थी, उस पर ही ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने का निर्णय आया है इसके लिए कांग्रेस ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। हमारी सरकार ने सभी वर्गों के हितों के काम किए हैं। कांग्रेस के विद्वान अधिवक्ता उस समय न्यायालय में ही थे, जब यह फैसला आ रहा था तब उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि वह अपनी वाचिका वापस ले रहे हैं। उनकी मंशा यही थी कि कैसे भी चुनाव पर रोक लग जाए। हम जो अध्यादेश लाए थे वह नियम कानूनों के तहत था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ सबको मिले यह हमारा प्रयास है। पिछड़े वर्ग के कल्याण में कोई कसर न छोड़ी गई है ना छोड़ी जाएगी। विपक्ष साथ दे तो ठीक नहीं तो उसके बिना भी अपना अभियान जारी रखेंगे। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि कांग्रेस में 27% आरक्षण देने का दिखावा किया था। उस वक्त लोकसभा के चुनाव थे लेकिन जब हाईकोर्ट में इस आरक्षण को चुनौती दी गई तब तत्कालीन महाधिवक्ता ने पैरवी नहीं की। कमजोर पक्ष रखे जाने की वजह से हाईकोर्ट ने उसे स्थगित कर दिया था। हमारी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का काम किया है, जिन मामलों में हाईकोर्ट में याचिका लंबित है उन्हें छोड़कर 27% का लाभ दिया जा रहा है। कई नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ भी अभ्यर्थियों को मिल चुका है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही कराए जाएं पंचायत चुनाव। इसके लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
मध्य प्रदेश विधानसभा में ओबीसी आरक्षण पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष-विपक्ष के बीच तीखी बहस
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Bhopal 👤By: DD Views: 2249
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