मप्र विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में अपने विचार रखे
11 जनवरी 2023। जयपुर में आयोजित हो रहे 83 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का शुभारंभ राजस्थान विधानसभा के असेंबली हॉल में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के मुख्य आथित्य में प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर श्री ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति श्री हरवंष, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गेहलोत सहित कई राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव एवं अन्यगणमान्य जन उपस्थित थे।
पीठासीन सम्मेलन में निधार्रित कार्यसूचि के अनुरूप मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने संसद एवं विधान मंडलों को अधिक प्रभावी, उत्तरदायी एवं उत्पादकतायुक्त बनाने की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। विधानसभा अध्यक्ष ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में निवार्चन के महत्व पर अपनी बात रखते हुए इस बात पर चिंता जाहिर की कि मतदान में लोगों की रूचि कम हो रही है और अपेक्षाकृत कम मतदान हो रहा है। उन्होंने कहा कि 1952 में जब आम चुनाव हुआ तो मतदाताओं की संख्या साढे 17 करोड़ थी जबकि उस समय 10.50 करोड़ लोगों ने वोट डाला, जबकि उस समय साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम था और 85 प्रतिशत आबादी निरक्षर थी। इस मतदान ने पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया भारतीय लोकतंत्र में भारत के लोकतंत्र से दुनिया को एक आइना दिखाया। किंतु आज की क्या स्थिति है, आज हमारे पास कम्युनिकेशन है, कनेक्टिविटी है, सोशल साइट्स हैं, मोबाइल है, हमारे पास इलेक्शन कमीशन है जो लगातार इस बात का प्रयास कर रहा है कि हमारे वोट ऑफ परसेंटेज ज्यादा ड्राइव होकर के आये। लेकिन उसके बाद भी लगभग 30 करोड़ लोग वोट डालने के लिए नहीं आते हैं। जब 2019 में हमारा वोटिंग का रजिस्ट्रेशन 98 करोड़ है तब हमारा वोटिंग परसेंट 67 परसेंट यह 32-33 परसेंट लोग कहां चले गये।
श्री गौतम ने सुझाव दिया कि यदि 50 प्रतिशत से कम मतदान हो तो मतदान प्रक्रिया को पूर्ण न माना जाए, यह व्यवस्था बांग्लादेश में है।
श्री गौतम ने कहा कि अतीत के अनुभवों से सीख लेते हुए यदि संसदीय प्रक्रिया को और हमारे लोकतंत्र को सर्वोच्च शिखर पर ले जाना है। तो अतीत के अनुभवों से सीख करके हमको नयी दिशा तय करनी पड़ेगी।
श्री गौतम ने सम्मेलन में लोकसभा और विधानसभाओं के सत्रों की छोटी होती अवधि पर भी चिंता जताई। उन्होंन कहा कि सर्वमान्य सत्य यह है कि यदि हमारी विधान सभाएं और लोकसभा कम चलेगी तो हमारा पावर कम होता चला जायेगा और शायद हम जनता के उस विश्वास को खोते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कम से कम कितने दिन वर्ष में सदन की कार्यवाही चले इसका एक निर्धारण होना आवश्यक है।
श्री गौतम ने विधायकों के पर्याप्त प्रशिक्षण एवं उन्हें सदन की कार्यवाही में लगातार उपस्थित रहने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि आज देखने में यह आता है कि सदस्यों का विधायी ज्ञान कुछ कम होता जा रहा है। इसके पीछे यही कारण है कि उनका पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं हो रहा है और वे सदन की कार्यवाही में लगातार गंभीर होकर भाग नहीं ले रहे हैं।
इसके साथ ही समानांतर चल रहे विधायी निकायों के सचिवों के 59 वें सम्मेलन में मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री ए.पी.सिंह ने सहभागिता की एवं मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय द्वारा किए जा रहे नवाचार तथा प्रमुख कार्यों का ब्योरा दिया।
माननीय विधानसभा अध्यक्ष श्री गौतम, विधानसभा प्रमुख सचिव श्री एपी सिंह एवं अन्य प्रतिनिधिगण माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला द्वारा दिए गए रात्रिभोज में भी सम्मिलित हुए। सम्मेलन में मप्र विधानसभा के अवर सचिव श्री मोहनलाल मनवानी, माननीय अध्यक्ष के ओएसडी एवं अवर सचिव श्री नरेंद्र कुमार मिश्रा भी शामिल हो रहे हैं।
विधायी संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए मतदान प्रतिशत भी बढ़ाना जरूरी : विधानसभा अध्यक्ष श्री गौतम
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bhopal 👤By: prativad Views: 723
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