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समन्वय और समयबद्धता के साथ हुआ विधानसभा के सत्र संचालन

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 947

16 वीं विधानसभा के दूसरे सत्र का समापन
प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों को अवसर देना रही प्राथमिकताः विधानसभा अध्यक्ष तोमर

14 फरवरी 2024। मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधान सभा के द्वितीय सत्र का समापन बुधवार को हो गया। यह सत्र समन्वय और समयबद्धता के साथ संचालित हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार एवं कई वरिष्ठ मंत्रियों−सदस्यगणों ने विधानसभा में चर्चा के दौरान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की सदन संचालन की शैली, नवाचार एवं समन्वय की नीति की प्रशंसा की। इस सत्र में कुल 06 बैठकें हुईं, जिसमें विधायी, वित्तीय तथा लोक महत्व के अनेक कार्य सम्पन्न हुए। इस सत्र में सदन ने अन्य वित्तीय कार्यों के अलावा वर्ष 2024-25 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा कर लेखानुदान पारित किया, वहीं वर्ष 2023-24 के द्वितीय अनुपूरक मांगों को स्वीकृति प्रदान की गई।

इस सत्र में कुल 2303 प्रश्न प्राप्त हुए, जिसमें 1163 तारांकित 1140 अतारांकित प्रश्न थे। ध्यानाकर्षण की कुल 541 सूचनाएं प्राप्त हुई, जिनमें 40 सूचनाएं ग्राहय हुई। शून्यकाल की 176 सूचनाएं एवं 242 याचिकाएं प्राप्त हुई तथा 08 शासकीय विधेयक भी पारित किये गये। माननीय सदस्यों द्वारा राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रस्ताव पर, हरदा शहर के ग्राम बैरागढ़ स्थित पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट से उत्पन्न स्थिति के संबंध में लाये गये स्थगन प्रस्ताव पर तथा 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर विस्तृत चर्चा की गई।

सत्र के समापन अवसर पर अपने वक्तव्य में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश विधान सभा अपने नवाचारों के लिये जानी जाती है और इसी क्रम में मेरे द्वारा अध्यक्ष के स्थायी आदेश में संशोधन किया गया। विधान सभा के किसी कार्यकाल के सत्रों में सदन की बैठकों हेतु प्राप्त प्रश्नों की वे सूचनाएं, जो स्वीकृत होकर विभागों को उत्तर हेतु भेजी जा चुकी हों, के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर सभा के विघटन के ठीक पूर्व तक प्राप्त नहीं होने पर, सभा के विघटन पर व्यपगत मानी जाती थीं, अब विधान सभा के विघटन के पूर्व सत्र तक लंबित प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के उत्तर व्यपगत नहीं होंगे। इस संबंध में प्रश्न एवं संदर्भ समिति द्वारा परीक्षण कर अनुशंसा सहित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा।

श्री तोमर ने कहा कि पहली बार निर्वाचित होकर आए सदस्य अपनी क्षेत्र की समस्याएं प्राथमिकता से उठा सकें, इस हेतु मेरे द्वारा उन्हें सदन में अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया गया तथा महिला सदस्यों के प्रश्नों को प्राथमिकता दी गई। शून्यकाल में जनहित के विषय उठाने के लिए भी अधिक-से-अधिक अवसर प्रदान करने हेतु जहां शून्यकाल की नये सदस्यों की सूचनाएं अधिक ली गईं, वहीं शून्यकाल अपराह्न में लिया गया, इससे सदन की बैठक के अंत तक उपस्थिति भी अच्छी रही। वहीं भोजनावकाश स्थगित कर एवं सदन के समय में वृद्धि कर अनेक विषयों पर चर्चाएं पूर्ण कराई गईं।

विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर ने कहा कि विधायी सदन डिबेट, डॉयलॉग, डिस्कशन के केन्द्र होते हैं, जहां इनके माध्यम से जनता की आवाज को स्वर दिये जाते हैं। उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है और कार्यपालिका का मार्गदर्शन भी किया जाता है। इस दृष्टि से इस सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर 36 एवं वित्तीय कार्यों पर 32 सदस्यों द्वारा की गई चर्चा इस बात का प्रतीक है कि माननीय सदस्य कितने गंभीर और प्रतिबद्ध हैं। यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं संसदीय कार्य प्रणाली के लिए शुभ संकेत है।

सत्र के सफलता पूर्वक संचालन पर प्रतिपक्ष दल के सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से उनके कक्ष में भेंट कर उन्हें बधाई दी। इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी उपस्थित थे।

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