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ऑस्ट्रेलिया ने सोशल मीडिया पर बच्चों की पहुंच रोकने के लिए विधेयक पेश किया

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 89

- दीपक शर्मा
प्रतिवाद

22 नवंबर 2024। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया के उपयोग से रोकने और नए आयु सत्यापन नियमों का पालन न करने वाले प्लेटफॉर्म पर भारी जुर्माना लगाने के लिए एक विधेयक पेश किया है।

गुरुवार को संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने संसद में ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम में संशोधन पेश करते हुए कहा कि यह कानून सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आयु-सत्यापन सुरक्षा लागू करने के लिए बाध्य करेगा। इसका उद्देश्य माता-पिता या बच्चों पर जिम्मेदारी डालने के बजाय प्लेटफॉर्म्स को जवाबदेह बनाना है।

कानून का उद्देश्य और प्रस्तावित प्रावधान
सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए न्यूनतम आयु 16 साल तय की गई है।
नियमों का उल्लंघन करने वाले प्लेटफॉर्म पर AU$50 मिलियन (US$32.5 मिलियन) तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
कानून TikTok, Snapchat, Instagram, X और Reddit जैसे प्लेटफॉर्म पर लागू होने की संभावना है, हालांकि किसी विशिष्ट प्लेटफॉर्म का नाम विधेयक में शामिल नहीं है।
प्लेटफॉर्म्स को आयु प्रतिबंध लागू करने के लिए एक साल का समय दिया जाएगा।

सरकार की मंशा
मिशेल रोलैंड के अनुसार, यह विधेयक युवाओं को सोशल मीडिया पर दिखने वाली नशीली दवाओं, आत्महत्या, और आत्म-क्षति जैसी हानिकारक सामग्री से बचाने के लिए लाया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 14 से 17 वर्ष की आयु के करीब दो-तिहाई ऑस्ट्रेलियाई बच्चे ऐसी हानिकारक सामग्री का सामना कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस ने कहा, “हम चाहते हैं कि बच्चे फोन से दूर रहें और बाहर खेलों में हिस्सा लें। सोशल मीडिया उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।”

विवाद और आलोचना
इस विधेयक को सत्तारूढ़ लेबर पार्टी और विपक्षी लिबरल पार्टी का समर्थन मिला है, लेकिन आलोचकों ने इसे युवाओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के लिए जोखिम बताया है।

एक्स (पूर्व में ट्विटर) के मालिक एलन मस्क ने इसे “ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की इंटरनेट तक पहुँच को नियंत्रित करने का एक तरीका” बताया।

दूसरे देशों में भी प्रतिबंधों की पहल
चीन, फ्रांस, स्पेन और कई अमेरिकी राज्यों ने भी नाबालिगों के सोशल मीडिया उपयोग को सीमित करने के लिए कानून बनाए हैं।

अगर यह विधेयक पारित होता है, तो माता-पिता की सहमति और पहले से मौजूद अकाउंट्स के लिए कोई छूट नहीं दी जाएगी। ऑस्ट्रेलिया इस सुधार को "ऐतिहासिक कदम" मानता है, लेकिन इसके प्रभावों पर चर्चा जारी है।

भारत में बच्चों पर सोशल मीडिया का प्रभाव
भारत में भी सोशल मीडिया बच्चों और किशोरों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।

ऑनलाइन बुलिंग (Cyberbullying): भारत में कई सर्वेक्षणों से पता चला है कि 13 से 17 साल के बच्चों में साइबर बुलिंग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। बच्चों पर इसका मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है, जिससे आत्मविश्वास में कमी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
हानिकारक सामग्री की पहुंच: भारत में बच्चों को हिंसा, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और आत्महत्या जैसी हानिकारक सामग्री आसानी से सोशल मीडिया पर देखने को मिलती है।
डिजिटल एडिक्शन: मोबाइल और सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताने के कारण बच्चों में डिजिटल एडिक्शन की समस्या बढ़ रही है। यह उनकी पढ़ाई, नींद और शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।
फर्जी जानकारी और धोखाधड़ी: सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और फ्रॉड के कारण बच्चों को गुमराह होने और ठगी का शिकार होने का खतरा रहता है।

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