
15 फरवरी 2025। साइबर ठगी के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है, और हाल ही में पुलिस जांच में एक नया खुलासा सामने आया है। डिजिटल ठग अब टेलीग्राम एप का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहे हैं। चाहे नौकरी देने के नाम पर ठगी हो, नकली रेटिंग दिलाने का लालच हो, निवेश योजनाओं में धोखाधड़ी हो, या फिर बैंक खातों की अवैध बिक्री, हर तरह की साइबर क्राइम गतिविधियों में इस ऐप का उपयोग किया जा रहा है।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि ठगी की रकम को टेलीग्राम के जरिए संगठित अपराधी समूह बैंक खातों में ट्रांसफर कर, फिर उसे क्रिप्टो एक्सचेंज के माध्यम से यूएसडीटी (डॉलर जैसी डिजिटल करेंसी) में बदलकर चीन समेत अन्य देशों में भेज रहे हैं। इस बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को पत्र लिखकर टेलीग्राम एप पर सख्त नियंत्रण लगाने की मांग करने की योजना बनाई है।
टेलीग्राम एप बना ठगों का अड्डा
मध्य प्रदेश पुलिस की साइबर क्राइम विंग द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि बीते एक वर्ष में टेलीग्राम एप के जरिए ठगी की 51 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन मामलों में नौकरी दिलाने, नकली निवेश योजनाएं चलाने, फेक वेबसाइट के माध्यम से लोगों से पैसा ऐंठने और बैंक खातों की बिक्री जैसी धोखाधड़ी के मामले शामिल हैं। ठगों ने देश-विदेश में कई ग्रुप बना रखे हैं, जिनमें शामिल होकर लोग आसानी से जाल में फंस जाते हैं। इन ग्रुप्स में बैंक खाते खरीदने और ठगी की रकम को छुपाने के लिए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करने की रणनीति तैयार की जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टेलीग्राम के एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और गुप्त ग्रुप फीचर की वजह से ठग बिना किसी ट्रेस के आसानी से साइबर अपराध को अंजाम देते हैं। इस वजह से पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियों के लिए इन ठगों तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
चीनी गिरोह की संलिप्तता, बैंक खातों की खरीद-फरोख्त का खुलासा
मध्य प्रदेश में बीएसएफ की टेकनपुर अकादमी में तैनात इंस्पेक्टर अबसार अहमद के साथ एक संगठित साइबर गिरोह ने 70.24 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। पुलिस की जांच में सामने आया कि इस ठगी में से 29,000 रुपये कोटा निवासी अंकित वर्मा के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए। जब उसे हिरासत में लिया गया तो उसके दो और साथी अखिल सिंह (दिल्ली) और आफताब अहमद (झारखंड) के नाम सामने आए।
जांच के दौरान पता चला कि इन सभी आरोपियों ने टेलीग्राम एप के माध्यम से चीनी साइबर गिरोह को बैंक खाते बेचे थे। यही नहीं, ठगी की गई रकम से छह प्रतिशत कमीशन काटकर बाकी रकम को यूएसडीटी में बदलकर चीन स्थित पे-वॉलेट में ट्रांसफर किया गया।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की रणनीति
मध्य प्रदेश पुलिस अब इस मामले को गंभीरता से लेते हुए टेलीग्राम एप पर प्रतिबंध लगाने या सख्त निगरानी रखने के लिए I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) को पत्र लिखने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा, साइबर क्राइम सेल के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे टेलीग्राम पर सक्रिय संदिग्ध ग्रुप्स और चैनलों की पहचान कर उन पर निगरानी रखें।
विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर अपराधी अब पारंपरिक माध्यमों की जगह टेलीग्राम जैसे सुरक्षित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जांच एजेंसियों के लिए उन्हें पकड़ना मुश्किल हो गया है। ऐसे में, डिजिटल सुरक्षा के लिए आम जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है। नौकरी, निवेश या किसी भी संदिग्ध लेन-देन से पहले पूरी जानकारी जांच लें और अनजान लिंक या ग्रुप्स में शामिल होने से बचें।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की राय
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, टेलीग्राम के एन्क्रिप्शन और गुप्त चैट फीचर का दुरुपयोग साइबर ठगों के लिए एक बड़ा हथियार बन गया है। ऐसे में सरकार को इस तरह के एप्स पर नियंत्रण बढ़ाने, डिजिटल ट्रांजेक्शनों की निगरानी करने और क्रिप्टो करेंसी के प्रवाह पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।
क्या करें और क्या न करें?
✅ किसी भी संदिग्ध लिंक या टेलीग्राम ग्रुप में शामिल न हों।✅ नौकरी या निवेश के नाम पर मांगी गई रकम को बिना जांचे न भेजें।✅ बैंक खातों और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें और किसी से साझा न करें।✅ यदि साइबर ठगी का शिकार हों तो तुरंत www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।