
18 मार्च 2025। एक हालिया शोध के अनुसार, पढ़ने की तुलना में वीडियो सामग्री देखने की बढ़ती प्रवृत्ति मानव बुद्धि को कमजोर कर सकती है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तर्क और समस्या-समाधान जैसी महत्वपूर्ण बौद्धिक क्षमताएँ कम हो रही हैं, जिसका एक प्रमुख कारण दृश्य मीडिया का अत्यधिक उपयोग हो सकता है।
🔸 बौद्धिक गिरावट के संकेत
पीआईएसए (PISA) टेस्ट, जो 15 वर्षीय छात्रों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक क्षमता मापता है, यह दर्शाता है कि मानव बुद्धि 2010 के दशक की शुरुआत में चरम पर थी लेकिन तब से लगातार गिरावट पर है। पढ़ने, गणित और विज्ञान में प्रदर्शन कमजोर हुआ है, जो वयस्क संज्ञानात्मक मूल्यांकन में भी दिखाई देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रवृत्ति का संबंध सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग और पठन की घटती आदत से है। डिजिटल दुनिया में लोग तेजी से दृश्य सामग्री पर निर्भर होते जा रहे हैं, जिससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, स्मृति और आत्म-नियंत्रण प्रभावित हो रहे हैं।
🔸 जनरेटिव एआई और घटती आलोचनात्मक सोच
Microsoft और Carnegie Mellon University के हालिया शोध में पाया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बढ़ता प्रभाव मानव बौद्धिक क्षमताओं को नुकसान पहुँचा सकता है। लोग अपने विचारों और निर्णय लेने की प्रक्रिया को AI पर निर्भर करने लगे हैं, जिससे उनका मस्तिष्क निष्क्रिय और कमजोर हो रहा है।
🔸 तकनीकी कंपनियों का AI पर जोर
Google, Microsoft और OpenAI जैसी बड़ी कंपनियाँ मशीन लर्निंग, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और ऑटोमेशन में अरबों डॉलर निवेश कर रही हैं। इन कंपनियों द्वारा विकसित ChatGPT और Gemini जैसे AI मॉडल तेजी से जटिल संज्ञानात्मक कार्य करने में सक्षम हो रहे हैं।
🔸 AI इंसानों से अधिक बुद्धिमान हो सकता है?
प्रसिद्ध टेक अरबपति एलन मस्क ने हाल ही में चेतावनी दी कि अगले तीन वर्षों में AI, इंसानों से अधिक बुद्धिमान हो सकता है। उन्होंने यह बयान अपनी कंपनी xAI द्वारा लॉन्च किए गए इमेज जेनरेशन मॉडल Aurora की घोषणा के दौरान दिया था।
🔸 सोशल मीडिया का प्रभाव: सतर्क रहने की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल तकनीकों का सोच-समझकर और संतुलित उपयोग फायदेमंद हो सकता है, लेकिन अनियंत्रित सोशल मीडिया खपत के कारण लोगों की बौद्धिक क्षमता कमजोर हो रही है। बढ़ती डिजिटल लत, ध्यान भंग होने की समस्या और ज्ञान की गहराई में कमी को देखते हुए यह जरूरी है कि लोग पढ़ने की आदत को फिर से अपनाएँ और आलोचनात्मक सोच को विकसित करें।