डीप वेब और साइबर अपराध: नई चुनौतियों का सामना करने के लिए भोपाल में बनेगी देश की सबसे हाईटेक मीडिया फॉरेंसिक लैब

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1892

10 फरवरी 2025। साइबर अपराध की दुनिया में डीप वेब नई चुनौती लेकर सामने आ रहा है। डार्क वेब के बाद अब डीप वेब के माध्यम से किए जा रहे साइबर अपराधों में तेजी देखी जा रही है। इससे निपटने के लिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में देश की सबसे हाईटेक मीडिया फॉरेंसिक लैब स्थापित की जा रही है। यह लैब नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी के भौरी स्थित 27 एकड़ जमीन पर विकसित की जाएगी, जो डिजिटल सबूतों की जांच में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

नई साइबर क्राइम तकनीकें और उनकी चुनौतियांडीप वेब के जरिए साइबर अपराधी अब ज्यादा परिष्कृत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें एन्क्रिप्शन तकनीकों का दुरुपयोग, बायपासिंग मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, फिशिंग के एडवांस वर्जन, और डीपफेक टेक्नोलॉजी जैसे नए-नए तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है। अपराधी संवेदनशील डेटा चोरी, डिजिटल सिग्नेचर क्लोनिंग, और एआई-बेस्ड मैन्युपुलेटेड वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।

देश की सबसे बड़ी मीडिया फॉरेंसिक लैबनेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर प्रो. डॉ. सतीश कुमार के अनुसार, "इस हाईटेक मीडिया फॉरेंसिक लैब के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है। इसे यूनिवर्सिटी के भौरी कैंपस में 27 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। यह लैब डिजिटल एविडेंस की जांच के लिए देश का प्रमुख केंद्र बनेगी।"

मीडिया फॉरेंसिक लैब के फायदेप्रो. डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि, "इस लैब के माध्यम से जांच एजेंसियों को साइबर अपराध से जुड़े मामलों की गहन जांच में मदद मिलेगी। डिजिटल सबूतों जैसे ऑडियो-वीडियो फाइल्स, डॉक्युमेंट्स, और एन्क्रिप्टेड डेटा के ऑथेंटिकेशन में तेजी आएगी। कोर्ट में सबूतों को वैधता के साथ पेश किया जा सकेगा, जिससे न्याय प्रणाली और मजबूत होगी।" केंद्र सरकार ने इस परियोजना के पहले चरण के लिए 120 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिसमें लैब, बिल्डिंग, गेस्ट हाउस, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और 500 सीटों वाला हॉस्टल शामिल है।

अभी तक की स्थितिवर्तमान में मध्यप्रदेश में मीडिया फॉरेंसिक लैब न होने के कारण गंभीर साइबर अपराधों के डिजिटल सबूतों को जांच के लिए दिल्ली या गुजरात भेजना पड़ता है, जिससे जांच प्रक्रिया में देरी होती है। 2022 में शुरू की गई गुजरात की नेशनल साइबर फॉरेंसिक लैब के अलावा देश के 28 राज्यों में साइबर फॉरेंसिक की ट्रेनिंग लैब्स स्थापित की गई हैं।

डार्क वेब और डीप वेब का बढ़ता खतरादेशभर में साइबर अपराधों में तेजी के साथ डार्क वेब और डीप वेब के माध्यम से अपराधों में भी वृद्धि हो रही है। डीप वेब पर अवैध लेन-देन, ड्रग्स तस्करी, हथियारों की बिक्री, और डेटा ब्रीच जैसे अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। डीप वेब के पेज और कंटेंट को सर्च इंजन में इंडेक्स नहीं किया जाता, और इन्हें विशेष लॉगिन क्रेडेंशियल्स के माध्यम से ही एक्सेस किया जा सकता है।

एआई और भविष्य के साइबर अपराधभविष्य में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित अपराधों का खतरा और अधिक बढ़ने की आशंका है। डीपफेक वीडियोज, एआई ड्रिवन फिशिंग अटैक्स, और वॉयस क्लोनिंग जैसे अपराधों से निपटने के लिए यह फॉरेंसिक लैब महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस लैब के माध्यम से डिजिटल अपराधों की जांच के लिए उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता उपलब्ध होगी, जिससे अपराधियों को पकड़ने और न्याय दिलाने में तेजी लाई जा सकेगी।

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